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चाय उद्योग: यूनियनों को ममता पर भरोसा नहीं
डंकन्स के साथ मुख्यमंत्री की बैठक को बताया छलावा श्रमिक नेताओं को भी बैठक में शामिल करने की मांग सिलीगुड़ी : चाय बागानों को खोलने को लेकर डंकन्स समूह के मालिक गौरी प्रसाद गोयनका तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच शुक्रवार को हुई बैठक को सिलीगुड़ी के विभिन्न चाय श्रमिक संगठनों के नेताओं ने छलावा […]
डंकन्स के साथ मुख्यमंत्री की बैठक को बताया छलावा
श्रमिक नेताओं को भी बैठक में शामिल करने की मांग
सिलीगुड़ी : चाय बागानों को खोलने को लेकर डंकन्स समूह के मालिक गौरी प्रसाद गोयनका तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच शुक्रवार को हुई बैठक को सिलीगुड़ी के विभिन्न चाय श्रमिक संगठनों के नेताओं ने छलावा करार दिया है.
इन नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री डंकन के मालिकों के साथ बैठक कर चाय श्रमिक तथा आम लोगों की आंखों में धूल झोंक रही हैं. वास्तविकता यह है कि दोनों के बीच हुई इस बैठक का कोई लाभ चाय श्रमिकों को नहीं होगा.
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को नवान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा गौरी प्रसाद गोयनका के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्र भी उपस्थित थे. बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए संजय मित्र ने कहा था कि डंकन कंपनी भी बंद पड़े अपने चाय बागानों को खोलना चाहती है. 70 करोड़ रुपये के एक पैकेज को लेकर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा हुई है.
डंकन कंपनी के मालिक अपने चाय बागानों को खोलने तथा चाय श्रमिकों को बकाया भुगतान को लेकर 70 करोड़ रुपये खर्च करेंगे.
चाय श्रमिकों के वेतन एवं बोनस का भुगतान किया जायेगा और बंद पड़े चाय बागानों में लंगरखानी की भी व्यवस्था की जायेगी. यहां पर बूढ़े तथा बीमार चाय श्रमिक मुफ्त भोजन कर सकेंगे. इस कार्य में राज्य सरकार डंकन कंपनी को सभी प्रकार की मदद करेगी.
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सीटू तथा चाय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त फोरम के नेता एवं पूर्व सांसद समन पाठक ने कहा कि इसका कोई लाभ चाय श्रमिकों को नहीं होगा. दरअसल, राज्य सरकार बंद चाय बागानों को लेकर गंभीर ही नहीं है. यदि राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर होती, तो काफी पहले ही बंद बागानों को खुलवाने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी होती.
अब तक 250 चाय श्रमिक भूख और बीमारी की वजह से मारे जा चुके हैं. राज्य सरकार तो इस बात से भी इनकार कर रही है. श्री पाठक ने कहा कि सिर्फ चाय बागान मालिकों से ही बात करने से कुछ नहीं होगा. मुख्यमंत्री को डंकन्स के मालिकों के साथ हुई बैठक में चाय श्रमिकों के ट्रेड यूनियनों के नेताओं को भी बुलाना चाहिए था. मुख्यमंत्री तथा श्री गोयनका के बीच क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री से ट्रेड यूनियन नेताओं को लेकर डंकन कंपनी के मालिकों के साथ बैठक बुलाने की मांग की.
श्री पाठक ने कहा कि चाय श्रमिकों के आंदोलन को देखते हुए ममता बनर्जी ने फौरी तौर पर चाय बागानों को खुलवाने की कवायद शुरू की है. यदि सही में उनके इस प्रयास से बंद चाय बागान खुल जाते हैं तो यह एक अच्छी बात होगी. हालांकि उन्हें तथा चाय श्रमिकों को ममता की बातों पर भरोसा नहीं है. तराई, डुवार्स तथा पहाड़ पर चाय श्रमिकों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है.
30 नवंबर को चाय श्रमिक अनशन पर बैठे थे, जबकि एक दिसंबर को चाय उद्योग में हड़ताल का आह्वान किया गया था. 10 तारीख को भी पहाड़ बंद का एलान गोजमुमो के चाय श्रमिक संगठन ने किया है. स्वाभाविक तौर पर इन आंदोलनों से बने दबाव की वजह से मुख्यमंत्री कुछ काम होने का दिखावा कर रही हैं.
विधानसभा चुनाव पर नजर
पश्चिम बंगाल चा बागान श्रमिक कर्मचारी यूनियन के तराई-डुवार्स के सहायक सचिव अमूल्य दास ने भी अविश्वास जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री के इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे श्रमिकों की भलाई की नीयत कम और आगामी विधानसभा चुनाव में लाभ उठाने का इरादा ज्यादा नजर आता है. उन्होंने डंकन्स के मालिकों को गिरफ्तार करने की मांग की है.
उनका कहना है मालिक बरसों से श्रमिकों का पैसा दबाये बैठे हैं, उन्हें बिजली और राशन जैसी बुनियादी सुविधा भी मुहैया नहीं करायी जा रही है, जो कि मालिकों की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त आधार है.
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