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दशहरा से पहले घरों में दुबके असुर समुदाय के लोग

दुर्गापूजा के दौरान यही है उनका रिवाज नये पीढ़ी के लोग रिवाज तोड़कर उठाते हैं पूजा का आनंद अलीपुरद्वार : जहां दुर्गापूजा के आंनद में पूरा बंगाल आह्लादित रहता है, वहीं अलीपुरद्वार जिले के माझेरडाबड़ी चाय बागान में असुर समुदाय के लोग घरों में दुबके है. ये लोग खुद को असुरों का वंशज मानते है. […]

दुर्गापूजा के दौरान यही है उनका रिवाज

नये पीढ़ी के लोग रिवाज तोड़कर उठाते हैं पूजा का आनंद

अलीपुरद्वार : जहां दुर्गापूजा के आंनद में पूरा बंगाल आह्लादित रहता है, वहीं अलीपुरद्वार जिले के माझेरडाबड़ी चाय बागान में असुर समुदाय के लोग घरों में दुबके है. ये लोग खुद को असुरों का वंशज मानते है. पूर्वजों के समय से ही ये रीत चली आ रही है. इस चाय बागान में लगभग 100 असुर परिवारों का बसेरा है.

यहां तक यह लोग कैमरे के सामने आने से भी कतराते हैं. इन परिवारों के ज्यादातर सदस्य चाय बागान श्रमिक है. अलीपुरद्वार जिले व डुआर्स एवं जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा, बानरहाट, चालसा, कैरन आदि इलाके में असुर समुदाय के लोगों का बसेरा है. आरोप है कि इस पिछड़े समुदाय के लिए सरकार की कोई विशेष योजना नहीं है. विभिन्न समय में स्वयंसेवी संगठन इन्हें मदद करते हैं. जबकी ज्यादातर लकड़ी काटकर व चाय बागानों में काम करके जीविकोपार्जन करते हैं.

लुनिस असुर ने कहा कि उसका परिवार दुर्गापूजा के दौरान बाहर नहीं निकलता है. किसी पूजा पंडाल में भी नहीं जाते हैं. उसने बताया कि मां दुर्गा इस समुदाय के लिए अभिशाप माना जाता है. क्योंकि वे यह मानते हैं कि मां दुर्गा ने उनके पूर्वजों की हत्या की थी. हालांकि अब दिन बदल रहे हैं. उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई करते हैं. पुरानी रीत को तोड़कर वे अब पूजा पंडालों में घूमते व आनंद लेते हैं.

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