नागराकाटा : चाय बागानों में बोनस को लेकर कोलकाता में चल रही त्रिपक्षीय वार्ता रविवार को भी निष्फल रही. जहां बागान मालिकों ने बातचीत में चाय उद्योग के आर्थिक और प्राकृतिक संकटों का हवाला देकर 20 फीसदी से कम बोनस देने की बात कही वहीं, श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने 20 फीसदी से कम पर मानने को बिल्कुल राजी नहीं हुए.
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चाय बागानों में बोनस पर वार्ता फिर विफल
नागराकाटा : चाय बागानों में बोनस को लेकर कोलकाता में चल रही त्रिपक्षीय वार्ता रविवार को भी निष्फल रही. जहां बागान मालिकों ने बातचीत में चाय उद्योग के आर्थिक और प्राकृतिक संकटों का हवाला देकर 20 फीसदी से कम बोनस देने की बात कही वहीं, श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने 20 फीसदी से कम पर […]
इस वजह से रविवार को बेंगॉल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यालय में चली त्रिपक्षीय वार्ता नाकाम हो गयी. इस बारे में चाय बागानों के संगठनों के संयुक्त मंच कंसल्टेटिव कमेटी ऑफ प्लांटर्स एसोसिएशन (सीसीपीए) के महासचिव अरिजित राहा ने बताया कि अगली बैठक 12 सितंबर को बुलायी गयी है. हर साल की तरह इस बार भी आपसी सहमति से ही बोनस का मसला हल होगा. चाय बागानों में शांति-व्यवस्था कायम रहे इसके लिये श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया है.
उल्लेखनीय है कि बोनस को लेकर बागान मालिकों ने शुरु से ही इस बार कुछ कड़ा रुख लिया है. इन्होंने चाय उद्योग में लगातार बढ़ रही लागत के अनुपात में चाय की कीमत नहीं मिलने और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदा को लेकर अपनी असमर्थता जतायी है. गौरतलब है कि इस साल डुआर्स में आयी बाढ़ का सर्वाधिक नुकसान चाय बागानों को हुआ है. एक तरफ चाय बागानों के कई हिस्से बाढ़ में बह गये वहीं, लगातार बारिश से चायपत्ती की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है.
इन वजहों से मालिकान इस बार बीस फीसद से कम बोनस देने पर विशेष जोर दे रहे हैं. हालांकि चाय श्रमिक संगठनों के नेता इस बारे में उनसे सहमत नहीं हैं. इस बारे में चाय श्रमिक संगठनों के ज्वाइंट फोरम के एक प्रमुख संयोजक मनि कुमार दर्नाल ने कहा कि चाय उद्योग में रातोंरात ऐसा कोई बदलाव नहीं आया है कि जिससे बोनस की राशि कम करनी पड़े.
हम लोग भी बातचीत के जरिये सहमति बनाये जाने के पक्ष में हैं. उम्मीद है कि मालिकपक्ष श्रमिकों के हालात को समझेंगे. वहीं, भाजपा समर्थित चाय श्रमिक संगठन भारतीय टी वर्कर्स यूनियन बीटीडब्ल्यूयू के महासचिव संतोष हाती ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि 20 फीसदी से कम बोनस देने के पीछे कोई विशेष मजबूरी है.
हमारा कहना है कि हमें बीस प्रतिशत ही बोनस दिया जाये. उधर, चाय बागान तृणमूल कांग्रेस मजदूर यूनियन के एक प्रमुख नेता बाबलु मुखर्जी ने कहा कि जितना जल्द बोनस का मसला हल हो जाये उतना ही चाय बागान श्रमिकों के लिये बेहतर है. चाय श्रमिकों के बोनस पर ही डुआर्स में हाट-बाजार का व्यवसाय निर्भर है.
अगर बोनस के फैसले में देर होती है तो श्रमिकों के बाजार करने में असुविधा होगी. उल्लेखनीय है कि पिछले साल चाय बागान श्रमिकों को 19.5 फीसदी बोनस देने पर सहमति बनी थी. उस समय रुग्णता के आधार पर 48 बागानों को छूट दी गयी थी. वहीं, वर्ष 2017 में 19.75 फीसदी बोनस दिया गया था. उसके पहले लगातार छह साल तक 20 फीसदी बोनस दिया गया था.
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