अलीपुरद्वार : सरकारी पेंशन मिलती है. दो दो बेटे और बहू हैं. इसके बावजूद 65 वर्षीया वृद्धा मिलन पंडित असहाय अवस्था में दिन-रात काट रही हैं. अलीपुरद्वार शहर के दक्षिण जीतपुर में अपने घर में अस्वस्थ हालत में रहने को विवश यह वृद्धा दो जून भात और रोशनी के लिये तरस रही है.
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दाने-दाने को तरस रही है पेंशनभोगी
अलीपुरद्वार : सरकारी पेंशन मिलती है. दो दो बेटे और बहू हैं. इसके बावजूद 65 वर्षीया वृद्धा मिलन पंडित असहाय अवस्था में दिन-रात काट रही हैं. अलीपुरद्वार शहर के दक्षिण जीतपुर में अपने घर में अस्वस्थ हालत में रहने को विवश यह वृद्धा दो जून भात और रोशनी के लिये तरस रही है. आरोप है […]
आरोप है कि जिस बेटे के साथ वह रहती हैं वह पेंशन लेने के लिये उन्हें अच्छी साड़ी पहनाकर टोटो में बैठाकर बैंक ले जाता है. पेंशन मिलने पर सारी रकम खुद रख लेता है और मां को वैसे ही बिना रोशनी और गंदगी एवं सीलन भरे कमरे में असहाय छोड़ देता है.
यहां तक कि बेटे बहू खाने तक को नहीं पूछते हैं. पड़ोसियों के दिये हुए भोजन और मिड-डे-मील से उनका किसी तरह दिन कट रहा है. स्थानीय पड़ोसी वृद्धा की इस दशा से क्षुब्ध हैं. इनका कहना है कि इससे बेहतर है कि उन्हें किसी वृद्धाश्रम में रखा जाये ताकि उन्हें कम से कम दो जून का भात तो मिल जायेगा. आश्चर्य की बात है कि यह वृद्धा इतनी असहाय व उपेक्षित हैं लेकिन उनके मुंह से किसी तरह की शिकायत सुनने को नहीं मिल रही है.
उल्लेखनीय है कि वृद्धा के पति विभूति प्रसाद पंडित हासीमारा में एमईएस के नौकरी करते थे. कई साल पहले उनका देहांत हो गया. उसके बाद से ही मिलन पंडित की तकलीफ का दौर शुरु हुआ. एक स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि इनकी जो अवस्था है उसमें उन्हें इलाज की सख्त जरूरत है. उन्हें किसी होम में दाखिल किये जाने पर भी विचार किया जा रहा है.
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