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अब रेल पटरियों पर बेमौत नहीं मरेंगे गजराज

लेजर स्पीड राडार गन की व्यवस्था की गयी राजाभातखावा और हासीमारा में लगे वीएचएफ सेट वन विभाग के कर्मचारियों के साथ समन्वय पर जोर विभिन्न स्थानों पर अंडरपास और ओवरपास का निर्माण अबतक 100 से अधिक हाथियों की बचायी गयी जान सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर सीमांत रेल क्षेत्र में चालकों की सतर्कता से सैकड़ों हाथियों की […]

लेजर स्पीड राडार गन की व्यवस्था की गयी

राजाभातखावा और हासीमारा में लगे वीएचएफ सेट
वन विभाग के कर्मचारियों के साथ समन्वय पर जोर
विभिन्न स्थानों पर अंडरपास और ओवरपास का निर्माण
अबतक 100 से अधिक हाथियों की बचायी गयी जान
सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर सीमांत रेल क्षेत्र में चालकों की सतर्कता से सैकड़ों हाथियों की जान बचायी गयी है. सिलीगुड़ी के निकट गुलमा,सेवक सहित पूरे डुवार्स के वनक्षेत्र से गुजरने वाली रेल पटरियों पर ट्रेन के धक्के से गाहे-बगाहे हाथियों की मौत हो जाती थी. परंतु अब इसमें कमी आ रही है. अलीपुरद्वार डिवीजन में चालकों की सतर्कता से सैकड़ों हाथियों की जान बचायी जा चुकी है. हाथियों की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गये हैं. जिसके परिणामस्वरुप 100 से भी अधिक हाथियों की जान बचाई जा सकी है.
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अुनसार वर्ष 2018 में करीब 115 मामले ऐसे पाए गए जब ट्रेनों के ड्राइवरों ने हाथियों के झुंड रेलवे ट्रैक पर है या इसके आसपास पास पाया. जबकि वर्ष 2017 में हाथियों की जान बचाने के लिए ड्राइवरों ने करीब 119 बार ट्रेनें रोकी. वहीं वर्ष 2016 और 2015 में क्रमश: 145 और 118 ट्रेनें रोक कर हाथियों की जान बचायी गयी. इस वर्ष अब तक पांच दफे ऐसा हुआ जब ड्राइवर को ट्रेनें रोकनी पड़ी. उस समय हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक पर से गुजर रहा था.
इस संबंध में और अधिक जानकारी देते हुए पूर्वोत्तर सीमांत रेल के सीपीआरओ प्रणव ज्योति शर्मा ने बताया है कि हाथियों की मौतों पर अंकुश लगाने के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं.
लेजर स्पीड राडार गन की व्यवस्था की गयी है. यह हाथियों के इलाके में ट्रेन की स्पीड पर नजर रखता है. सभी ट्रेनों के ड्राइवर और ट्रैकमैन को स्थाई और अस्थाई स्पीड पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है. मधुमक्खियों की भनभनाहट वाली प्रणाली कुछ इलाकों के रेलवे क्रॉसिंग पर लगायी गयी है. पैंट्री कार के कर्मचारियों के साथ ही यात्रियों को भी इस बात की ताकीद की गई है कि वे रेलवे ट्रैक पर खाने-पीने की चीजें ना फेंके और ना ही छोड़ें. इससे हाथी या अन्य जानवर ट्रैक की ओर आकर्षित होते हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार के वन विभाग द्वारा भी चिन्हित हाथियों के कोरिडोर पर ड्राइवरों को सावधान करने के लिए साइन बोर्ड लगाये गये है. रेल के ड्राइवरों को दृश्यता में कोई कठिनाई न हो इसके लिए समय समय पर रेलवे ट्रैक के दोनों ओर की झाड़ियों की सफाई की जाती है. वन विभाग के साथ जल्द संपर्क करने के लिए 25 वाट के वीएचएफ सेट राजाभातखावा और हासीमारा स्टेशनों पर मुहैया कराए गए हैं.
वन विभाग के उन कर्मचारियों को अलीपुरद्वार नियंत्रण कक्ष में तैनात किया गया है जो हाथियों की गतिविधियों से भलीभांति परिचित हैं, ताकि ड्राइवरों को समय रहते सूचित किया जा सके. हाथियों के गुजरने के समय ट्रेनों की गति को नियंत्रित की जा सके. हाथियों की दुर्घटना को रोकने के लिए कई जगह पैसेंजर अंडरपास, ओवरपास और तारबंदी की जा चुकी है. कुछ अन्य इलाकों में यह काम जारी है. चालू वर्ष में अब तक हाथी के ट्रेन दुर्घटना में मारे जाने की कोई घटना नहीं हुई है.

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