शहर के बुद्धिजीवियों व लेखकों ने दी बेबाक राय
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पाकिस्तान में आतंकी शिविरों का सफाया जरूरी
शहर के बुद्धिजीवियों व लेखकों ने दी बेबाक राय सिलीगुड़ी : पुलवामा में फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत हुई. वायु सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों के पनाहगाह बालाकोट के शिविरों को तबाह करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति दिखायी दे रही है. हालांकि विश्व के प्रमुख […]
सिलीगुड़ी : पुलवामा में फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत हुई. वायु सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों के पनाहगाह बालाकोट के शिविरों को तबाह करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति दिखायी दे रही है. हालांकि विश्व के प्रमुख देशों से अलग थलग पड़ने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान से युद्ध की संभावना बनती नहीं दिख रही है. फिर भी युद्ध का माहौल बन जाने के बाद देश के अंदर के बुद्धिजीवी और लेखक-कवि क्या सोच रहे हैं इसकी पड़ताल जरूरी हो गयी है.
इस संबंध में सिलीगुड़ी के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखक-बुद्धजीवियों से बातचीत कर जो निष्कर्ष सामने आया है वह है कि पाकिस्तान में आतंकी शिविर भारत के लिये हमेशा से चिंता का सबब रहे हैं. इनका सफाया होना जरूरी है. लेकिन इसके साथ ही दोनों देशों को युद्ध से बचना चाहिये चूंकि युद्ध किसी भी मसले का स्थायी समाधान नहीं हो सकता है.
शहर में स्व. हरेंद्रनारायण मेमोरियल गुरुकुल के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणांशु राय शर्मा ने भी युद्ध को कश्मीर मसले का स्थायी समाधान नहीं माना है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी समूहों को हरसंभव मदद देता रहा है. आतंकियों को वहीं से खुराक मिलती रही है.
इसलिये उनके शिविरों को ध्वस्त करने की केंद्र की मोदी सरकार की पहल सराहनीय है. इसमें कहीं कुछ अनुचित नहीं जान पड़ता है और यह देशहित में उठाया गया केंद्र सरकार का फैसला है न कि किसी राजनैतिक दल का. लेकिन अंततोगत्वा युद्ध से इस मसले का स्थायी समाधान संभव नहीं है.
यह बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के वक्तव्य से भी साफ है. मसले के स्थायी समाधान के लिये पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बनाया जाना चाहिये और कहीं न कहीं इसमें हम लोग सफल हुए हैं. आज पाकिस्तान दुनिया के देशों से अलग-थलग पड़ गया है. यहां तक कि चीन जो कि उसका सबसे भरोसेमंद साथी है उसने भी युद्ध की स्थिति में तटस्थ रहने की बात साफ तौर पर कह दी है.
शहर के जाने माने हिंदी के समालोचक और कवि देवेंद्र नाथ शुक्ल का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति दोनों ही देशों के लिये नुकसानदेह होगी. इसलिये युद्ध की स्थिति से बचना जरूरी है. लेकिन यह भी सच है कि पाकिस्तान में जिन आतंकी समूहों को वहां की सरकार मदद और आश्रय देती आयी है उसे भी नष्ट करना जरूरी हो गया है.
इस लिहाज में केंद्र सरकार की कार्रवाई उचित है. इस दौरान पाकिस्तान की तरफ से तनाव बढ़ाने की संभावना बन रही है जो हालात को दूसरा मोड़ दे सकते हैं. कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद एक पुरानी समस्या है और पाकिस्तान इसका फायदा उठाना चाहता है.
इस पर रोक जरूरी है. भारत की ओर से जो एयर सर्जिकल स्ट्राइक की गयी है वह एक नया प्रयोग है. इसे हम कहां तक सफलतापूर्वक कर पाते हैं यह तो आने वाला समय बतलायेगा. लेकिन पाकिस्तान इसे हल्के में नहीं लेगा वह इसे गलत मोड़ दे सकता है. वैसी स्थिति में खुद की रक्षा करते हुए पाकिस्तान को विश्व समुदाय से अलग थलग करना भी भारत के लिये एक चुनौती होगी.
शहर के युवा गजलकार और सामाजिक कार्यकर्ता नेमतुल्ला नूरी ने कहा कि आतंकी शिविरों के खिलाफ यह कार्रवाई बहुत पहले होनी चाहिये थी. केंद्र सरकार ने इस कार्रवाई में देर कर दी. हालांकि देर आयद, दुरुस्त आयद. देर से ही सही आखिर में केंद्र सरकार ने एक कड़ा फैसला लिया है जिसका स्वागत किया जाना चाहिये.
रही बात तो युद्ध का माहौल दिखने के बावजूद युद्ध की संभावना नहीं दिख रही है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के वक्तव्य में जिसमें उन्होंने भारत को ही मुख्य रुप से संबोधित किया है, शांति और द्विपक्षी वार्ता की पेशकश की गयी है. युद्ध दोनों ही देशों के हितों के खिलाफ है और इससे जहां तक हो बचा जाना चाहिये.
युद्ध से दोनों ही देशों का नुकसान है. उनका कहना है कि मूल मसला कश्मीर के संबंधित पक्षों से बातचीत कर घाटी में स्थिति को सामान्य करने पर विशेष जोर देना होगा चूंकि वहीं से मिले ईंधन का इस्तेमाल पाकिस्तान देश को अस्थिर करने में करता है. इसलिये कश्मीर के मसले का स्थायी समाधान भारतीय संविधान के दायरे में किया जाना चाहिये.
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