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सिलीगुड़ी : रेगुलेटेड मार्केट घोटाला-8 : चाय दुकानदार की शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्के ट में स्टॉलों के आवंटन में एक और गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है. अक्तूबर 2018 में एक चायवाले ने स्टॉलों में आवंटन में अनियमितता के खिलाफ जो आवाज उठायी, अब सही साबित होती लग रही है. 21 साल उसने दुकान चलायी, लेकिन उसे एग्रीमेंट नहीं मिला और अंतत: उसी की […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्के ट में स्टॉलों के आवंटन में एक और गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है. अक्तूबर 2018 में एक चायवाले ने स्टॉलों में आवंटन में अनियमितता के खिलाफ जो आवाज उठायी, अब सही साबित होती लग रही है. 21 साल उसने दुकान चलायी, लेकिन उसे एग्रीमेंट नहीं मिला और अंतत: उसी की दुकान में ताला लगा दिया गया. जबकि उसने सलामी जमा करवाकर दुकान का आवंटन कराया था.

प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक, सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट का स्टॉल ई-4 वर्ष 1997 में जगन्नाथ यादव को आवंटित हुआ था. 10 सितंबर 1997 को एसआरएमसी के तत्कालीन सचिव ने मेमो नंबर 449/एसआरएमसी के तहत स्टॉल आवंटन के लिए 22,500 रुपये की नन-रिफंडेबल सलामी निर्धारित समय में जमा कराने का निर्देश उसे दिया था.
निर्देशानुसार उसने सलामी भी जमा करायी, लेकिन उसे स्टॉल आवंटन के डीड मुहैया नहीं करायी गयी. जगन्नाथ का आरोप है कि एसआरएमसी ने उसके साथ एग्रीमेंट किया ही नहीं. ऐसे में वह स्टॉल का किराया भी जमा नहीं करा पा रहा था. जबकि वर्ष 1997 से लेकर वर्ष 2018 के जुलाई महीने तक जगन्नाथ उस स्टॉल (ई-4) में चाय का व्यवसाय चलाता आ रहा था.
वर्ष 2018 के जून महीने में एसआरएमसी का पदभार ग्रहण करने के बाद देवज्योति सरकार ने बकाया किरायावाले स्टॉलों में ताला जड़ना शुरू किया. इसी क्रम में जगन्नाथ के स्टॉल में भी ताला जड़ दिया गया. अभी भी उसका स्टॉल बंद है. सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यवसायियों को चाय पिलाकर अपना व परिवार का पेट पालनेवाले जगन्नाथ का स्टॉल पिछले छह महीने से बंद पड़ा है. जगन्नाथ यादव ने एग्रीमेंट करके स्टॉल का किराया जमा कराने की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए एसआरएमसी को कई आवेदन किया.
प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक 21 अप्रैल 2006 से 10 जून 2013 तक उसने एसआरएमसी को कई पत्र लिखा. लेकिन एसआरएमसी ने उसकी फरियाद को नजरअंदाज कर दिया. फिर अचानक उसके स्टॉल में ताला जड़ दिया गया. इसके बाद जगन्नाथ यादव ने एसआरएमसी के सचिव से मिलकर अपनी समस्या सुनायी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
सितंबर में फिर वे एसआरएमसी के सचिव से मिलकर एग्रीमेंट करने की बात रखी. जगन्नाथ यादव का आरोप है कि एसआरएमसी के सचिव देवज्योति सरकार ने उन्हें समस्या समाधान के लिए व्यवसायी गणेश सिंह से मिलने को कहा. गणेश सिंह से मुलाकात करने पर उन्होंने एग्रीमेंट व ताला खुलवाने के लिए पांच लाख रुपये की मांग की. एक साथ इतने रुपये की मांग सुनकर जगन्नाथ स्तब्ध रह गये.
प्रधान नगर थाने के पास भी पहुंच चुका है मामला
31 अक्तूबर 2018 को जगन्नाथ ने प्रधान नगर थाने में शिकायत दर्ज करायी. अपनी शिकायत में उसने 1997 से लेकर अबतक का जिक्र किया है. एग्रीमेंट व ताला खुलवाने के लिए पांच लाख रुपए की मांग करने का आरोप उसने व्यवसायी गणेश सिंह, संजय पाल उर्फ बापी व दार्जिलिंग जिला युवा तृणमूल अध्यक्ष निर्णय राय पर लगाया है.
हालांकि इन लोगों ने आरोप को सिरे से खारिज किया है. मजे की बात यह है कि एग्रीमेंट के लिए बार-बार किये आवेदन में जगन्नाथ ने स्टॉल नंबर ई-4 के बदले डी-4 को अपना बताया है. एसआरएमसी रिकॉर्ड (वर्ष 2011) तक स्टॉल नंबर ई-4 ही जगन्नाथ यादव के नाम पर दर्ज है, जिसका कोई एग्रीमेंट नहीं है और न ही किराया जमा हुआ है.
बल्कि 263 रुपये प्रतिमाह किराया के हिसाब से 30 अगस्त 2011 तक 44 हजार 184 रुपये बकाया है. लेकिन इसके बाद भी ई-4 व डी-4 की गलतफहमी को एसआरएमसी व जग्गनाथ ने दूर नहीं किया. वर्ष 2011 के बाद भी किये आवेदन में जगन्नाथ ने डी-4 को ही अपना स्टॉल जताते रहे.
आज तक जांच पूरी नहीं कर पायी पुलिस
थाने में शिकायत करने के बाद प्रधान नगर थाना पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 91 के तहत जगन्नाथ को एक नोटिस जारी करते हुए स्टॉल चिन्हित कराने का निर्देश जारी किया. जगन्नाथ ने ई-4 को ही चिन्हित कराया. इसके बाद पुलिस कमिश्नरेट ने इस मामले को डिटेक्टिव डिपार्टमेंट को सौंप दिया. डिटेक्टिव डिपार्टमेंट को भी जग्गनाथ ने ई-4 को ही चिह्नित कराया. इसके बाद पुलिस की जांच आगे ही नहीं बढ़ी.

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