सिलीगुड़ी : रेलवे को यातायात का प्रमुख्य जरिया माना गया है. हर रोज रेलवे में लाखों लोग सफर करते हैं. इस दौरान कुछ गैर समाजिक तत्व बच्चों को अपना निशाना बनाते है. इसी को ध्यान में रखते हुए महिला व बाल कल्याण मंत्रालय की पहल पर रेलवे, चाइल्ड लाइन तथा सिनी ने संयुक्त रुप से […]
सिलीगुड़ी : रेलवे को यातायात का प्रमुख्य जरिया माना गया है. हर रोज रेलवे में लाखों लोग सफर करते हैं. इस दौरान कुछ गैर समाजिक तत्व बच्चों को अपना निशाना बनाते है. इसी को ध्यान में रखते हुए महिला व बाल कल्याण मंत्रालय की पहल पर रेलवे, चाइल्ड लाइन तथा सिनी ने संयुक्त रुप से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.
जिसमें बच्चों के हाव भाव को देखकर उसकी जानकारी पता करने के साथ ही संविधान में बच्चों को क्या-क्या सुविधाएं दी गयी है,इसकी जानकारी दी गयी.प्रथम चरण में देश के बड़े बड़े स्टेशनों को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया है. जिसमें से एक एनजेपी स्टेशन भी शामिल है.
सिलीगुड़ी शहर को उत्तर पूर्ण भारत का प्रवेश द्वार कहा गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए हर रोज एनजेपी स्टेशन में हजारों लोगों का आनाजाना होता है. मिली जानकारी के अनुसार मानव तस्कर बच्चों की इस तस्करी में एनजेपी स्टेशन को ज्यादा ही इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं असम, डुआर्स तथा आसपास के इलाकों के भी बच्चों की तस्करी के लिए इसी स्टेशन का सहारा लिया जाता है. एक रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2016-17 में इस स्टेशन से 374 बच्चों की तस्करी की गई थी.
जबकि 2017-18 में 310 बच्चों का तस्करी हुयी थी. इस विषय पर सिनी के उत्तर बंगाल के यूनिट कोर्डिनेटर शेखर साहा ने बताया कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए भारत के कई बड़े-बड़े स्टेशनों को चुना गया है. जिसमें एनजेपी स्टेशन भी शामिल है. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के लिए स्टेशन के आसपास के स्टेक होल्डरों को चुना गया है.
जिसमें स्टेशन में काम करने वाले कुली, टीटी, आरपीएफ तथा आसपास के अन्य व्यापारी शामिल हैं. जिसका उद्देश्य बाल तस्करी को रोकने के अलावे स्टेशन में यात्रा करने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित कई जरुरी कार्य शामिल है. ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेकर लोगों ने भी खुशी जाहिर की है. श्री साहा ने बताया कि एनजेपी के बाद बहुत जल्द सिलीगुड़ी जंक्शन में भी यह ट्रेनिंग शुरु की जायेगी.