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सिलीगुड़ी : रेगुलेटेड मार्केट घपले में युवा तृणमूल नेता पर एफआइआर, सिंडिकेट बनाकर साढ़े चार करोड़ रुपये का घोटाला

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमेटी (आरएमसी) द्वारा एक सिंडिकेट बनाकर साढ़े चार करोड़ रुपये के घोटाला मामले में एक नया खुलासा हुआ है. व्यवसायियों से रुपये वसूली करने वाले सिंडिकेट में राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के दार्जिलिंग जिला युवा तृणमूल अध्यक्ष निर्णय राय उर्फ पोचा सहित रेगुलेटेड मार्केट के अदरख व्यवसायी गणेश सिंह […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमेटी (आरएमसी) द्वारा एक सिंडिकेट बनाकर साढ़े चार करोड़ रुपये के घोटाला मामले में एक नया खुलासा हुआ है. व्यवसायियों से रुपये वसूली करने वाले सिंडिकेट में राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के दार्जिलिंग जिला युवा तृणमूल अध्यक्ष निर्णय राय उर्फ पोचा सहित रेगुलेटेड मार्केट के अदरख व्यवसायी गणेश सिंह व संजय पाल के शामिल होने का खुलासा हुआ है. बल्कि दुकान खुलवाने के लिए सिंडीकेट चलाने वालों पर अवैध तरीके से रूपया वसूली का भी आरोप लगा है.
यहां उल्लेखनीय है कि 31 अक्तूबर को प्रभात खबर के सिलीगुड़ी संस्करण में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमेटी में साढ़े चार करोड़ रुपये के घपले की खबर प्रकाशित होने के बाद इस मामले ने जोर पकड़ लिया है. बीते जून महीने में ही सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमेटी के सचिव देवज्योति सरकार ने पदभार संभाला है. बीते दो महीने में कई वर्षों से किराया बकाया रखने वाले करीब 150 व्यवसायियों के स्टॉल पर ताला जड़ दिया गया.
बल्कि जुर्माने के साथ बकाया राशी भुगतान करने वाले व्यवसायियों का स्टॉल खोल भी दिया गया है. फिर भी 50 से अधिक स्टॉलों के शटर बंद हैं. सलामी देकर एग्रीमेंट के बाद से स्टॉल का किराया बकाया होने का भी मामला सामने आया है. इसके साथ ही सलामी के बाद स्टॉल एलॉट होने के बीस वर्ष बाद भी व्यवसायी के साथ एग्रीमेंट न होने का भी मामला है.
कुछ मामले ऐसे भी हैं जिसमें आरएमसी से स्टॉल लेने वाला व्यवसायी किसी और को, उसने फिर किसी और को इस तरह से एक स्टॉल चार से पांच हाथों में बिक चुके हैं, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है. आरएमसी के रिकॉर्ड में दर्ज स्टॉल लेने वाला असली मालिक या तो स्वर्ग सिधार गया है, या कहीं अन्यत्र चला गया है. ऐसे में वर्तमान में व्यवसाय कर रहे व्यवसायियों के नाम पर स्टॉल दर्ज कराना काफी मुश्किल साबित हो रहा है.
व्यवसासियों का आरोप
इधर व्यवसासियों का आरोप है कि आरएमसी के सचिव देवज्योति सरकार स्थानीय बाहूबली व राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के साथ मिलकर एक सिंडिकेट चला रहे हैं. यह सिंडिकेट व्यवसायियों से करोड़ो रुपये वसूलता है. आरोप है कि स्टॉल खुलवाने के लिए इस सिंडिकेट ने साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की उगाही की है. बुधवार शाम आरएमसी के एक व्यवसायी जगन्नाथ यादव ने प्रधान नगर थाने में एक शिकायत दर्ज करायी है.
उनका कहना है कि वर्ष 1994 में उन्होंने 22 हजार रुपये सलामी देकर 150 वर्गमीटर का एक स्टॉल लिया था. बीस वर्षों बाद भी आरएमसी ने उनके साथ किराये का एग्रीमेंट नहीं किया. जबकि बीते इन बीस वर्षों में उन्होंने कई बार एग्रीमेंट के लिए आरएमसी से आग्रह किया. बल्कि दो महीने पहले बिना किसी अग्रिम जानकारी के आरएमसी ने उनके स्टॉल में ताला जड़ दिया. जब वह ताला लगाने का कारण जानने के लिए आरएमसी कार्यलय पहुंचे तो उन्हें सिंडीकेट के सदस्य गणेश सिंह, संजय पाल व युवा तृणमूल अध्यक्ष निर्णय राय को 5 लाख रुपये देने को कहा गया.
रुपये देने के बाद स्टॉल खोलने का आश्वासन दिया गया. इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी 46 नंबर वार्ड तृणमूल संयोजक दिलीप वर्मन को दी और बुधवार को प्रधान नगर थाने में शिकायत दर्ज करायी. उन्होंने आगे बताया कि वे रेगुलेटेड मार्केट में चाय बेचकर अपना व परिवार का गुजारा करते हैं. पिछले दो महीने से भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है.
स्टॉल में सारा सामान सहित 35 हजार रूपए नगद बंद है. दुर्गा पूजा के बाद दीपावली, कालीपूजा व छठ पूजा को लेकर उनकी चिंता काफी बढ़ गयी है. यहां बता दे कि आरएमसी सचिव पर घोटाले का आरोप लगाकर तृणमूल नेता दिलीप वर्मन ने भी बीते मंगलवार को आरएमसी के चेयरमैन सह जिला शासक जयशी दासगुप्ता और प्रधान नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
क्या कहते हैं आरएमसी के सचिव
आरएमसी के सचिव देवज्योति सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि पदभार संभाले अभी उन्हें कुछ ही समय हुआ है. जिन स्टॉलों का किराया बकाया था, उनके दर्ज मालिकों को नोटिस जारी हुआ.उसके बाद ताला मारा गया है. बकाया राशि जमा कराने के बाद कई स्टॉल खोल भी दिया गया है. जहां तक बात सिंडिकेट व रुपया उगाही का है तो उनका किसी भी राजनैतिक दल व नेताओं के साथ कोई लेना-देना नहीं है.
क्या कहना है कि युवा तृणमूल अध्यक्ष का
दार्जिलिंग जिला युवा तृणमूल अध्यक्ष निर्णय राय उर्फ पोचा ने बताया कि यह एक राजनैतिक षडयंत्र है. उसी के तहत उनके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी है. उन्होंने आगे बताया कि बीते दस वर्षों में वे सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट नहीं गये हैं. फिर सिंडिकेट में शामिल होना और रुपया उगाही करने का आरोप पूरी तरह से निराधार है. आरोप लगाने वाले के खिलाफ वे भी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
क्या कहना है आरोपी व्यवसायी का
सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के अदरख व्यवसायी गणेश सिंह ने बताया कि पांच वर्ष का किराया बाकी होने की वजह से आरएमसी ने उनके स्टॉल पर ताला जड़ा था. जुर्माने के साथ बकाया राशि जमा करने के बाद आरएमसी ने उनका स्टॉल खोला है. सिंडिकेट चलाने व रुपया उगाही करने का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है. आरोप लगाने वाले के खिलाफ वे भी कानूनी प्रक्रिया अपनायेंगे.

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