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भव्य रूप में सज-धज कर तैयार गुरुंग बस्ती मंदिर

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर के गुरुंग बस्ती मोड़ इलाके में स्थित गुरुंग बस्ती शिव मंदिर का अपना इतिहास है. अभी इस मंदिर की कायापलट का काम चल रहा है. लोगों की मंदिर में स्थापित सिद्ध देवी में गहरी आस्था है. उनकी मान्यता है कि माता हर मन्नत को पूरा करती हैं. इसीलिए यहां सिलीगुड़ी के […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर के गुरुंग बस्ती मोड़ इलाके में स्थित गुरुंग बस्ती शिव मंदिर का अपना इतिहास है. अभी इस मंदिर की कायापलट का काम चल रहा है. लोगों की मंदिर में स्थापित सिद्ध देवी में गहरी आस्था है. उनकी मान्यता है कि माता हर मन्नत को पूरा करती हैं. इसीलिए यहां सिलीगुड़ी के साथ-साथ सिक्किम, दार्जिलिंग पहाड़, किशनगंज, जयगांव से भक्त दर्शन को आते हैं. मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना के साथ जनमाष्टमी, रामनवमी तथा शिवरात्रि पर खास आयोजन होते हैं.
मंदिर पुरोहित रहे इलाके के गणमान्य व्यक्ति गणेश त्रिपाठी ने बताया कि जब से वह सिलीगुड़ी आये हैं तब से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं. पहले मां सिद्ध देवी की मूर्ति एक पीपल वृक्ष के नीचे खुले में थी. लेकिन वर्ष 1963 में इलाके के वरिष्ठ नागरिक रंजीत सिंह पहलवान, अजीत भट्टाचार्य के आर्थिक सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ. उन्होंने बताया कि आर्मी के एमइएस विभाग के एक अधिकारी कृपाराम शर्मा ने भी भरपूर सहयोग किया था.
श्री त्रिपाठी ने बताया कि जब वह 1963 में मंदिर के चबूतरे का पुनः निर्माण करवा रहे थे, तो उस वक्त बाघवीर गुरुंग ने उनपर एसडीओ कोर्ट में मामला दर्ज करा दिया. लेकिन बाद में एसडीओ के समझाने पर उन्होंने मामला खत्म कर दिया. वर्ष 2014 में मंदिर कमेटी का गठन किया गया. तब अध्यक्ष पद मनोहर सिंह व पदम छेत्री को देने के साथ ही कोषाध्यक्ष शशि राज अग्रवाल, ओमप्रकाश शर्मा तथा चेयरमैन एसपी गुप्ता को बनाया गया था. उन्होंने बताया कि इन लोगों के अलावा वर्तमान में मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष राम अवतार झा, रामाज्ञा सिंह यादव, राजेश प्रसाद, ब्रज किशोर प्रसाद, नागेश्वर पांडे, नंदलाल प्रसाद हैं.
श्री त्रिपाठी के मुताबिक, मंदिर की कायापलट के लिए जयपुर से 16 लाख रुपये की लागत से गौरी-शंकर, राधा-कृष्ण, हनुमान, गणेश आदि देवी-देवताओं की मूर्तियों को मंगवाया जा रहा है. इसी वर्ष नवंबर तक मंदिर का भव्य रूप में उद्घाटन करने की योजना है. मंदिर का बुनियादी ढांचा बेहतर करने पर भी काम किया जा रहा है.
मंदिर में पांच हजार लीटर के पानी के टैंक का निर्माण कराया गया है. जहां भक्तों द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल इकट्ठा होगा. बाद में उसे पाइप के जरिये महानंदा नहीं में बहा दिया जायेगा.
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने कहा कि यह मंदिर आनेवाले समय में सिलीगुड़ी के लोगों के लिए सौगात होगा. उन्होंने मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग के लिए सभी लोगों का धन्यवाद किया है.
बाघवीर गुरुंग ने स्थापित की थी प्रतिमा
वर्ष 1955 में इलाके के जमींदार बाघवीर गुरुंग ने माता की मूर्ति स्थापित की थी. सेना के रिटायर्ड अफसर होने के कारण बाघवीर गुरुंग शिकार के शौकीन थे. उन दिनों में वह अक्सर अपनी गाड़ी में सवार होकर सुकना के जंगलों में शिकार के लिए जाया करते थे. एक रोज शिकार करने के दौरान बाघ ने उनपर धावा बोल दिया.
जान बचाने के लिए एक पेड़ के नीचे सिद्ध देवी की मूर्ति के पास उन्होंने आश्रय लिया. लेकिन जैसे ही उस जंगली जानवर की नजर सिद्ध देवी पर पड़ी वह दबे पाव वहां से लौट गया. इसके बाद बाघवीर गुरुंग दोबारा से इलाके के लोगों के साथ जंगल में गये और उस मूर्ती को ले जाये तथा एक चबूतरा बनाकर उसे स्थापित कर दिया. तब से बीते 63 वर्षों से मां सिद्ध देवी आस्था का केंद्र बनी हुई हैं. बाघवीर गुरुंग के नाम पर ही इलाके का नामकरण गुरुंग बस्ती किया गया है.
हर खुशी में मां को धन्यवाद देते हैं इलाके के लोग
गुरुंग बस्ती शिवमंदिर का इलाके के लोगों के बीच एक अलग स्थान है. उनका कहना है कि यहां स्थापित मां सिद्ध देवी मन्नतों को पूरा करती हैं. इलाके के एक निवासी अशोक यादव ने बताया कि उनका जन्म गुरुंग बस्ती इलाके में ही हुआ है. बचपन से ही वह देख रहे है कि इलाके की माताएं-बहनें इस मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं.
यहां तक कि हर छोटी से छोटी खुशी में इलाके के लोग माता को धन्यवाद देने आते हैं. धीरे-धीरे करके मंदिर की लोकप्रियता दूर-दूर तक बढ़ती जा रही है. वहीं नीरज कुमार साह ने बताया कि मां सिद्ध देवी ने अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी की है. वह भी नियमित माता के दर्शनों के लिए जाते हैं. इलाके के शशि प्रसाद केसरी तथा गेनु सिंह ने भी माता के प्रति अपनी पूर्ण श्रद्धा की बात कही.

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