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आवास योजना में गड़बड़ी बनी गले की हड्डी, विपक्ष के तल्ख तेवर से एक बार फिर अनिश्चितता
सिलीगुड़ी : हाउसिंग फॉर ऑल योजना को लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम में फिर से अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. पूरे राज्य में तृणमूल की आंधी के बीच सिलीगुड़ी में विपक्ष को झंडा थामे रहने वाले माकपा विधायक तथा सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य का भी सिंहासन डोलने लगा है. इस कथित […]
सिलीगुड़ी : हाउसिंग फॉर ऑल योजना को लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम में फिर से अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. पूरे राज्य में तृणमूल की आंधी के बीच सिलीगुड़ी में विपक्ष को झंडा थामे रहने वाले माकपा विधायक तथा सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य का भी सिंहासन डोलने लगा है. इस कथित घोटाले को लेकर नगर निगम में जमकर हंगामा हो रहा है.
यह मामला अशोक भट्टाचार्य के लिए गले की हड्डी बन गयी है. राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पिछले लंबे समय से सिलीगुड़ी नगर निगम पर कब्जा जमाने का ख्वाब देख रही है. इस माहौल में कांग्रेस ने तृणमूल को एक सुनहरा मौका पेश की दिया है. मासिक बोर्ड बैठक की भरी सभा में कांग्रेस परिषदीय दल के नेता सुजय घटक ने हाउसिंग फॉर ऑल परियोजना में हुई गड़बड़ी के मद्देनजर तृणमूल को वाम बोर्ड के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को कहा है. उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे को लेकर लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस तृणमूल का समर्थन करेगी.
यदि ऐसा होता है तो शक्ति परीक्षण में वाम बोर्ड का धाराशायी होना तय है. सोमवार को सिलीगुड़ी नगर निगम की मासिक बोर्ड सभा में परियोजना को लेकर शुरू हुई चर्चा अभी थमी नहीं है. बल्कि अगले 15 दिनों के बीच फिर से बोर्ड सभा आयोजित होगी. जिसमें परियोजना में उत्पन्न हुई समस्या का समाधान चर्चा के माध्यम से निकाला जायेगा. एक तरफ केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक प्रत्येक नागरिक के सिर पर छत देने का वादा कर रही है.
वहीं दूसरी तरफ सिलीगुड़ी नगर निगम में केंद्र की हाउसिंग फॉर ऑल योजना में हुयी गड़बड़ी से लाभार्थियों के सिर से छत छिन जाने की संभावना जतायी जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने हाउसिंग फॉर ऑल परियोजना का शुभारंभ किया. इसी वर्ष अशोक भट्टाचार्य के नेतृत्व में माकपा ने सिलीगुड़ी नगर निगम का बोर्ड संभाला. वर्ष 2016 से सिलीगुड़ी के जरूरतमंद लोगों को केंद्र की हाउसिंग फॉर ऑल योजना का लाभ दिलाने में जुटी.
निगम की ओर से सभी वार्डों का सर्वे कराया गया. जिसमें कुल 29 हजार 39 लाभार्थियों की तालिका तैयार की गयी. जबकि तृणमूल व कांग्रेस के पार्षदों ने लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया का विरोध किया. यह तालिका सरकार को भेजी गयी. तालिका के अनुसार सूडा 2000 लाभार्थियों का अनुमोदन प्रमथ चरण में किया. सभी वार्डों के लाभार्थियों की तालिका में प्रथम चरण की तालिका तैयार करने का निर्देश निगम ने दिया. सभी ने अपने वार्डों के लाभार्थियों की तालिका निगम को सौंप दी.
इसके बाद 1287 लाभार्थियों को प्रथम चरण के लिए निर्धारित किया गया. लेकिन जब जोड़ा गया तो लाभार्थियों की संख्या 2047 हो रही है. इसी बीच 2000 लाभार्थियों के प्रथम चरण का 6 करोड़ 93 लाख रूपया राज्य सरकार ने निगम को आवंटित कर दिया. लेकिन सिलीगुड़ी नगर निगम लाभार्थियों को प्रथम चरण का 60 हजार रूपया मुहैया नहीं करा पा रही है. समस्या इतनी गहरा गयी है कि इसका समाधान अब निगम के बस का नहीं है. इसके लिए राज्य सरकार के साथ मिल कर निगम को हल निकालना होगा.
क्या कहना है कांग्रेस का
कांग्रेस के सुजय घटक ने बताया कि इस तरह की गड़बड़ी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस गड़बड़ी की वजह से यह योजना सिलीगुड़ी में बंद भी हो सकती है. जिसका खामियाजा सिलीगुड़ी वासियों को भुगतना पड़ेगा. कई लाभार्थी घर तोड़कर रूपये का इंतजार कर रहे हैं. उनका क्या होगा.
क्या कहती हैं भाजपा पार्षद
वहीं भाजपा की खुशबू मित्तल ने कहा कि 20 वर्ष से अधिक समय तक मंत्री रहे मेयर अशोक भट्टाचार्य से इस तरह की गलती कैसे हो गयी. दो वर्षों से योजना का लाभ दिलाने की रणनीति बनाये जाने के बाद भी गलती कैसे हो सकती है. इस गड़बड़ी की वजह से यदि योजना बंद हो गयी तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. जहां प्रधानमंत्री नागरिकों के सिर पर छत देने की कोशिश कर रहे हैं वहीं सिलीगुड़ी नगर निगम की गैरजिम्मेदाराना हरकत योजना को मुंह के बल गिराने के कागार पर खड़ा कर दिया है.
क्या कहते हैं मेयर
सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने हाउसिंग फॉर ऑल परियोजना में हुयी गड़बड़ी को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि इसे घोटाला कहना उचित नहीं होगा. मेयर परिषद सदस्य ने पार्षदों द्वारा प्रस्तावित लाभार्थियों के अलावा किसी भी बाहरी का नाम तालिका में शामिल नहीं किया है. गड़बड़ी सामने आते ही उसकी जांच के लिए एक कमिटी बनायी गयी. कमिटी को प्राथमिक रिपोर्ट जल्द सौंपने का निर्देश दिया गया है. इस समस्या का हल निकालने के लिए अगले 15 दिनों के बीच एक बोर्ड बैठक बुलायी जायेगी.
कहां फंसा पेंच
हाउसिंग फॉर ऑल के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम ने सर्वे कर जो 29 हजार 39 लोगों की तालिका तैयार की है. उसमें एक ही व्यक्ति का नाम दो बार है. प्रथम चरण के लिए निगम ने प्रत्येक वार्ड की तालिका पार्षद को सौंप दी गयी. पार्षदों ने आवश्यकता के अनुसार लाभार्थियों का चयन कर तालिका बनाकर निगम को सौंपा. उस तालिका में भी लाभार्थियों की संख्या रहस्यमय तरीके से बढ़ा दी गयी है.
अब क्या होगा
हाउसिंग फॉर ऑल में हुयी गड़बड़ी को सुधारने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम को राज्य सरकार के साथ मिलकर हल निकालना होगा. तालिका के बाहर जिन लोगों के खाते में रूपये जमा हुए हैं,उनसे रूपया वापस कर वास्तविक लाभार्थी को प्रदान करना होगा. साथ ही तालिका सही करनी होगी. अन्यथा सिलीगुड़ी के नागरिक इस योजना से भी वंचित रह जायेंगे. लेकिन यह राह आसान नहीं है. इसके अतिरिक्त तालिका में गड़बड़ी करने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवायी की मांग विरोधी पक्ष कर ही रहे हैं. विरोधियों ने आज की बैठक में साफ कहा कि गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार मेयर परिषद सदस्य का हटाना होगा.
निगम ने क्या किया
गड़बड़ी का पता लगते ही सिलीगुड़ी नगर निगम की वाम बोर्ड ने मामले की जांच का निर्देश दिया है. जांच की जिम्मेदारी निगम के एक सरकारी कर्मचारी को सौंपी गयी है. तत्काल इस योजना को भी रोक दिया गया है. इसके अतिरिक्त निगम के स्थायी कर्मचारी डाटा एंट्री ऑपरेटर प्रवीर पाल को छुट्टी पर भेज दिया गया है. मेयर अशोक भट्टाचार्य ने गड़बड़ी की बात को स्वीकार करते हुए बताया कि मामला सामने आने के 24 घंटो के भीतर जांच कमेटी गठित की गयी. आज की बोर्ड बैटक में मेयर ने समस्या समाधान के लिए सभी पार्षदों को मिलकर प्रयास करने का प्रस्ताव दिया.
अशोक भट्टाचार्य की कुर्सी डगमगाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वाम बोर्ड की साथी कांग्रेस ने भी इस मसले पर तृणमूल कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन देने की घोषणा कर दी है. ऐसे भी वाम बोर्ड कांग्रेस के समर्थन पर ही चल रही है.
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