कालचीनी : चुनाव का मौसम आते ही शराब का दौर शुरु हो जाता है. पीना पिलाना मानो चुनावी प्रचार प्रसार का एक जरूरी हिस्सा हो. खासतौर पर शराब पिलाने का दौर डुवार्स की चायपट्टी में देखने में आता है. उल्लेखनीय है कि नामांकन जमा देने के दिन से ही डुवार्स के विभिन्न चाय बागान इलाकों […]
कालचीनी : चुनाव का मौसम आते ही शराब का दौर शुरु हो जाता है. पीना पिलाना मानो चुनावी प्रचार प्रसार का एक जरूरी हिस्सा हो. खासतौर पर शराब पिलाने का दौर डुवार्स की चायपट्टी में देखने में आता है. उल्लेखनीय है कि नामांकन जमा देने के दिन से ही डुवार्स के विभिन्न चाय बागान इलाकों में जगह जगह शराब की धड़ल्ले की बिक्री हो रही है.
हालांकि कहीं भी इस पर प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं है. हर बार की तरह इस बार भी डुवार्स में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से देसी विदेशी शराब की व्यवस्था की गयी है. यहां तक कि भूटान और असम से भी शराब मंगाकर शराब की बिक्री हो रही है. शराब की यह बिक्री मतगणना के दिन तक चलने की संभावना है. वहीं, स्वयंसेवी संगठन के पक्ष से इस तरह की प्रवृत्ति से बचने का आह्वान राजनैतिक दलों से किया गया है. चूंकि चुनाव में जीत हासिल करने का यह बेहद आसान लेकिन अनैतिक रास्ता है जिससे बचा जाना चाहिये. लेकिन लगता है कि सत्ता की होड़ में इन सब को ताक पर रख दिया गया है.
जानकारी अनुसार शाम होते ही चायपट्टी के विभिन्न मोहल्लों में शराब का अड्डा जम जाता है. वहां देसी विदेशी के साथ ही स्थानीय रुप से तैयार होने वाली हड़िया (चावल को सड़ाकर बनने वाली शराब) धड़ल्ले से बिक रही हैं. यहां तक कि चुनाव से ठीक पहले शराब बिक्रेताओं के पौ बारह हैं. डुवार्स के कुमारग्राम, कालचीनी, मदारीहाट, नागराकाटा में शराब की बिक्री हो रही है.
स्थानीय समाज सेवी विनय नार्जिनारी ने बताया कि जब से चुनाव की घोषणा हुई है उस समय से शराब की बिक्री बढ़ गयी है. अपने राजनैतिक फायदे के लिये सभी दल इसका उपयोग कर रहे हैं. कोई इस मामले में पीछे नहीं है. उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से इस तरह की अनैतिक और ओछी चाल से दूर रहने का आह्वान किया है. मदारीहाट क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता निता धर ने बताया कि शराब पीने के बाद पीनेवालों को होश ही नहीं रहता है कि वह क्या कर रहा है और क्या बोल रहा है. इस तरह की परिपाटी पर रोक लगनी चाहिए.