मालदा: मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के प्रसूति विभाग में मरीज के परिजनों की रहने की जगह देख कर लोग परेशान हो जाते हैं. छोटा सा एक कमरा है, जिसमें प्रसूति के परिजनों को ठूस कर भर दिया जाता है.
मालदा मेडिकल कॉलेज को चालू हुए तीन साल हो गये, लेकिन मालदा मेडिकल कॉलेज की बुनियादी ढांचा काफी जर्जर है. कॉलेज प्रबंधन ने मेडिकल कॉलेज के चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों की भरती प्रक्रिया रद्द कर दी है. उनकी भरती अगस्त महीने में होनी थी. प्रसूति विभाग के मरीज के परिजनों के रहने के लिए जो घर दिये गये हैं, उसमें न रोशनी की व्यवस्था है और न ही पंखा है.
शौचालय तो दूर की बात. इसी हालत में प्रसूति महिला के रिश्तेदारों को ठहरना पड़ता है. एक छोटे से कमरे में 30 से 35 रोगियों के परिजन रहते हैं. इनका कहना है कि इतने बड़े कॉलेज में मरीज के परिजनों के लिए रहने व बैठने की सही जगह नहीं है. बाध्य होकर एक छोटे से कमरे में ही रहना पड़ता है. हर रोज इस कमरे के सामने से मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधिकारी व रोगी कल्याण समिति के सदस्य आवाजाही करते हैं, लेकिन किसी की नजर इस ओर नहीं पड़ती है.
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, हर रोज 40 से 50 महिलाएं प्रसव पीड़ा लेकर मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भरती होती है. सिर्फ मालदा ही नहीं, बिहार, झारखंड से कई प्रसूति महिलाएं मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भरती होती हैं. रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन व पर्यटन मंत्री कृष्णोंदु चौधरी ने कहा कि मालदा मेडिकल कॉलेज कई समस्याओं से जूझ रहा है. मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग निर्माण का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है. इसलिए छोटी-मोटी समस्या तो रहेगी. पहले से अस्पताल काफी अच्छा हुआ है. अस्पताल की सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है. समय पर चिकित्सक व नर्स रहते हैं. प्रसूति विभाग के परिजनों के रहने की जगह बड़ा होता तो अच्छा होता. इस ओर ध्यान दिया जा रहा है. मालदा मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसीपल एमए रशीद ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. इसलिए छोटी-मोटी समस्याएं हो रही है.