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नेवरावैली में मिले विलुप्तप्राय प्रजाति के कई जानवर

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी : सिलीगुड़ी सहित पूरा उत्तर बंगाल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है. खासकर दार्जिलिंग पहाड़ और डुआर्स के जंगलों का अपना अलग ही आकर्षण है. दार्जिलिंग के साथ ही डुआर्स में भी पर्यटक हर साल काफी संख्या में आते हैं. डुआर्स के जंगल पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हैं. […]

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी : सिलीगुड़ी सहित पूरा उत्तर बंगाल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है. खासकर दार्जिलिंग पहाड़ और डुआर्स के जंगलों का अपना अलग ही आकर्षण है. दार्जिलिंग के साथ ही डुआर्स में भी पर्यटक हर साल काफी संख्या में आते हैं. डुआर्स के जंगल पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हैं. वन विभाग भी जंगलों एवं जंगली पशुओं की रक्षा को तत्पर है. हालांकि लकड़ी एवं पशु तस्करों के उत्पात से पूरा इलका त्रस्त है.

कुछ दिनों पहले तक डुआर्स के जंगलों से विभिन्न प्रजाति के जीव-जंतुओं के विलुप्त होने की खबर से वन विभाग की आलोचना हो रही थी. लोगों का कहना था कि वन विभाग की निष्क्रियता से ही विलुप्तप्राय जानवरों का शिकारी और तस्कर शिकार कर रहे हैं. यही वजह है कि ऐसे जानवरों की संख्या लगातार गिरती जा रही है. लेकिन हाल ही में नेवरावैली राष्ट्रीय उद्यान में 22 ट्रैप कैमरे लगाये गये. इन कैमरों में जो तस्वीरें कैद हुई हैं
उनसे साफ है कि इन जंगलों में अभी भी विलुप्तप्राय जानवर काफी संख्या में बचे हुए हैं. रॉयल बंगाल टाइगर के साथ ही विभिन्न विलुप्तप्राय प्रजाति के वन्य पशुओं की तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं. इससे वन विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है.अब इन वन्य जीवों के संरक्षण की कोशिश की जा रही है.
ट्रैप कैमरे में तस्वीरें हुईं कैद, गोल्डन कैट सभी के आकर्षण का केंद्र, तीन और जंगलों में लगेंगे 150 कैमरे
संरक्षण के लिए उठाये जायेंगे कदम : मंत्री
कैमरे में विलुप्तप्राय वन्य प्राणियों की तस्वीरें देख वन मंत्री सहित वन अधिकारी काफी खुश हुए. एक वन अधिकारी का कहना है कि कैमरे में बाघ, जंगली कुत्ते, गोल्डन कैट, क्लाउडेड लेपार्ड, हिमालयन बियर आदि की तस्वीरें देखने के बाद दवाब काफी कम हुआ है. नेवरावैली में कामयाबी मिलने के बाद अब जल्द ही उत्तर बंगाल के तीन अन्य घने जंगलों में 150 कैमरे लगाये जाने की योजना चल रही है. इन विरल प्रजाति के वन्य जीवों का संरक्षण अब वन विभाग के लिए एक चैलेंज है.
वन मंत्री विनय कृष्ण बर्मन ने कहा कि इन विरल प्रजाति के जीवों के संरक्षण के लिए असम के काजीरंगा एवं भूटान के वन विभाग से सहयोग लिया जायेगा. उन्होंने आगे बताया कि गोरुमारा, नेवरावैली व बक्सा के जंगलों में जल्द ही और कैमरे लगाये जायेंगे. इन तीनों जंगलों की सीमाएं भूटान से लगती है. इसलिए भूटान सरकार के साथ पश्चिम बंगाल सरकार संयुक्त रुप से काम कर रही है. पश्चिम बंगाल व भूटान के संयुक्त पहल पर असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्रशिक्षण चल रहा है. असम के वनकर्मी ट्रैप कैमरा चलाने में उत्तर बंगाल के वनकर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे है.
क्या कहना है वन अधिकारियों का : नेवरा असल में दुर्गम पहाड़ी जंगल है. जिसके कारण उस जंगल में आज भी कई विलुप्तप्राय प्रजाति के पशुओं का अस्तित्व बचा हुआ है. पिछले 19 जनवरी को नेवरा जंगल में बाघ की तस्वीर कैद हुयी थी. इसके बाद वहां ट्रैप कैमरे लगाये गये. गोरुमारा वन्यप्राणी विभाग की अधिकारी नीशा गोस्वामी ने बताया कि नेवरा के जंगल में लगे ट्रैप कैमरों में बाघ, क्लाउडेड लेपार्ड से लेकर गोल्डन कैट एवं विभिन्न विरल प्रजाति के पशुओं का अस्तित्व सामने आया है. यहां खासकर गोल्डन कैट या सोने जैसी बिल्ली पायी गयी है. ये आकार में कुत्तों जैसी होती है. लेकिन इनका रंग सोने जैसा है एवं चेहरा सफेद है जो काफी आकर्षक है. गोरुमारा के सहकारी वन अधिकारी बादल देवनाथ ने बताया कि इनका मुख्य भोजन खरगोश है. लेकिन ये हिरण तक का शिकार करते हैं. उन्होंने आगे बताया कि कुछ साल पहले महानंदा अभयारण्य में भी गोल्डन कैट देखा गया था. लेकिन अब नेवरा वैली में देखा गया. उन्होने कहा कि अब इन वन्य पशुओं की सुरक्षा के तमाम इंतजाम किये जायेंगे.

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