कार्यक्रम की शुरूआत में गोरामुमो संस्थापक अध्यक्ष सुभाषघीसिंग की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी.उनकी तस्वीर के सामने108 दीप जलाए गये. इसके बाद प्रार्थना आदि जैसे कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कन्वेनर एमजी सुब्बा ने छठी अनुसूची से ही गलग गोरखालैंड राज्य की प्राप्ती को संभव बताया.
उन्होंने वर्तमान गोरखालैंड आन्दोलन को नौटंकी बताया. उन्होंने कहा कि 2007 में छठी अनुसूचि का विरोध नहीं होता तो आज पहाड़ का चेहरा कुछ अलग होता.इधर,कालिम्पोंग में भी गोर्खा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (गोरामुमो) ने आज छठी अनुसूची समझौता दिवस का पालन किया. गोरामुमो 25 एवं 26 नंबर कमेटी के संयुक्त आयोजन में पेदोंग के सामुदायिक भवन में इस समझौता दिवस का पालन किया गया.
इसमें गोरामुमो के कालिम्पोंग जिला संयोजक मौरीस कालिकोटे सहित अन्य नेता उपस्थित थे. यहां भी स्वर्गीय सुभाष घीसिंग को श्रद्धांजलि दी गयी.कर्सियांग से हमारे संवाददाता के अनुसार गोरामुमो मंटिवियट चाय बागान के तत्वावधान में यहां के प्राथमिक पाठशाला खेल मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में छठी अनुसूची हस्ताक्षर दिवस पालन किया गया. मंटिवियट चाय बागान के विलेज चीफ व महकमा के कार्यकारी सदस्य गोरे दोंग ने इसकी अध्यक्षता की.कार्यक्रम में गोरे दोंग ने देश,काल व परिस्थिति को देखकर गोरामुमो के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय सुभाष घीसिंग द्वारा 6 दिसंबर 2005 को दार्जिलिंग पहाड़ व गोरखा जाति को बचाने के लिए किये गये छठी अनुसूची पर हस्ताक्षर के संदर्भ में विस्तार से बताया.पूरण तामंग द्वारा संचालित कार्यक्रम में श्रीमती सुधा सुब्बा,दीपक गजमेर,अशोक प्रधान,संतोष लामा सहित कई वरिष्ठ नेताओं व सदस्यों की उपस्थिति थी. गोरामुमो कर्सियांग शहर कमेटी के आयोजन में यहां के पार्टी कार्यालय में संपन्न एक कार्यक्रम में छठी अनुसूची हस्ताक्षर दिवस भव्य रूप से पालन किया गया.कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय छेत्री ने की.इस अवसर पर सचिव भूषण देवान ने छठी अनुसूची विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि गोरखालैंड के जन्मदाता स्वर्गीय सुभाषघीसिंग ने इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने इस विषय को लेकर अंतराष्ट्रीय अदालत हेग तक भी पहुंचाया था.उन्होंने बताया कि अंत में केन्द्र व राज्य सरकार पर दबाव बनाते हुए पहाड़ के विकल्प के रूप में 6 दिसंबर 2005 के दिन समझौता हुआ था. परंतु उस दौरान कुछेक स्वार्थी नेताओं ने जनता के भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए इसका घोर विरोध किया.उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था को त्याग कर असंवैधानिक व्यवस्था लेने के कारण ही जनता की आकांक्षा पूर्ण नहीं हुई है. यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने के कारण ही वर्तमान में पहाड की जनता को छठी अनुसूची की आवश्यकता लग रही है. फलस्वरूप प्रत्येक दिन गोरामुमो व हरे झंडे को समर्थन देनेवालों का क्रम लगातार जारी है.
श्री देवान ने कहा कि विगत का आंदोलन देखने से यह प्रतीत हो गया है कि सीधे तौर से गोरखालैंड नहीं होगा. गोरखालैंड तक पहुंचने का सहज मार्ग है छठी अनुसूची. यदि छठी अनुसूची मिल जाये तो चाय बागान क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को स्वयं की जमीन मिलेगी. कानून बनाने की क्षमता मिलेगी. आवश्यक सामानों के दाम में कुछेक प्रतिशत की छूट मिलेगी.
जनता की आर्थिक,शैक्षिक,सामाजिक,भाषिक,सांस्कृतिक,राजनैतिक आदि क्षेत्रों में उन्नति होगी. उन्होंने छठी अनुसूची के महत्व को समझकर संपूर्ण लोगों को गोरामुमो का साथ देने का आह्वान भी किया. सभाध्यक्ष संजय छेत्री ने छठी अनुसूची के बारे में में कहा कि पहाड़ की जनता से अधिक छठी अनुसूची के बारे में राज्य सरकार ने समझ लिया था. इसलिए इसके विरोध में काउंटर नेताओं को पैदा कर छठी विरोध शुरू करवाया गया. परंतु अब सत्य की जीत हम प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं.कार्यक्रम में गोरामुमो व इसके सहायक संगठनों के नेताओं व सदस्यों की उपस्थिति थी.