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जीएसटी की मार से पटाखा बाजार बेजार

सिलीगुड़ी. जीएसटी की मार से सिलीगुड़ी में पटाखा बाजार भी बेजार है. पटाखा निर्माता सहित पटाखा कारोबारी 28 प्रतिशत की जीएसटी से परेशान हैं. यही वजह है कि आने वाले दिनों में पटाखा कारोबार पर भारी असर पड़ने की संभावना है. इस कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार, बहुत अधिक जीएसटी के साथ ही हाल […]

सिलीगुड़ी. जीएसटी की मार से सिलीगुड़ी में पटाखा बाजार भी बेजार है. पटाखा निर्माता सहित पटाखा कारोबारी 28 प्रतिशत की जीएसटी से परेशान हैं. यही वजह है कि आने वाले दिनों में पटाखा कारोबार पर भारी असर पड़ने की संभावना है.

इस कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार, बहुत अधिक जीएसटी के साथ ही हाल में उत्तर बंगाल में विभिन्न स्थानों पर आयी बाढ़ की वजह से भी पटाखा बाजार परेशानी में है. आलम यह है कि उत्तर बंगाल में एकमात्र पटाखा कारखाना बंदी के कगार पर है. सिलीगुड़ी शहर के नजदीक जलास, निजामतारा ग्राम पंचायत के अधीन लिचू पाखरी में उत्तर बंगाल का एकमात्र पटाखा फैक्टरी है. 1998 में इसकी स्थापना हुई. जीएसटी लागू होने से पहले इस फैक्टरी का काम-काज ठीक-ठाक चल रहा था. अब अत्यधिक जीएसटी लग जाने से लागत निकलना तक मुश्किल है.

स्वाभाविक रूप से इस फैक्टरी के मालिक अपना कारोबार समेटने की तैयारी कर रहे हैं. इस फैक्टरी के मालिक जयंत सिंह राय का कहना है कि पहले कच्चा माल खरीदने पर 14.50 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता था. अब जीएसटी की सीमा बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दी गई है. पहले कच्चा माल बकाया मिल जाता था. अब अग्रिम राशि देकर माल खरीदना पड़ रहा है. उत्पादन लागत काफी बढ़ गया है, जबकि मुनाफे में काफी कमी आ गई है. ऐसा नहीं है कि बाजार में पटाखा की मांग नहीं है. दरअसल परेशानी अग्रिम पूंजी की है.

28 प्रतिशत जीएसटी के कारण कच्चा माल निर्माता अग्रिम भुगतान मांगते हैं, क्योंकि उन्हें भी एक महीने के अंदर ही जीएसटी जमा कराना होता है. श्री राय ने आगे कहा कि पहले उनके पटाखे की मांग सिलीगुड़ी एवं उत्तर बंगाल सहित पड़ोसी राज्य सिक्किम और असम में भी थी. अभी भी वहां से ऑर्डर आ रहा है, लेकिन वह माल नहीं बना पा रहे हैं. जितने पैमाने पर उत्पादन हो रहा है, उसकी आपूर्ति सिलीगुड़ी में ही पूरी नहीं हो पायेगी. उन्होंने सरकार से पटाखे पर जीएसटी की दर की समीक्षा करने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी कम नहीं करने पर पटाखा फैक्टरी को बंद करने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा.

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