उल्लेखनीय है कि नागराकाटा के शिपचू में वाम शासन के समय 8 फरवरी 2011 को मोरचा के जुलूस के दौरान पुलिस की गोली से तीन समर्थक मारे गये थे. मोरचा ने अपने इन तीन समर्थकों की स्मृति में शहीद बेदी बना रखी है. शिपचू पहाड़ से डुआर्स में प्रवेश करने का द्वार है. दो-तीन दिन पहले शिपचू से कुछ दूरी पर स्थित कालिम्पोंग के कुमानी, जलढाका, गोरूबथान और मनसंग में आंदोलनकारियों ने आगजनी व तोड़फोड़ की थी. इसके बाद से प्रशासन ने तय किया है कि पहाड़ के मोरचा समर्थकों को किसी सूरत में शिपचू पार करके डुवार्स में घुसने नहीं देना है. इसी दृष्टि से शिपचू में एंटी-माओइस्ट फोर्स को बुलाया गया है. एसएसबी कैंप के सामने सोमवार को एंटी-माओइस्ट फोर्स का कैंप लगाया गया.
पुरूलिया के जंगलमहल से आये इस विशेष बल में 60 कमांडो हैं. इन सभी की उम्र 22-28 साल है और ये जंगल में लड़ने के लिए खास तौर पर प्रशिक्षित हैं. जंगलमहल में इन जवानों को माओवादियों के दमन के लिए लगाया गया था. इस टुकड़ी का नेतृत्व एक असिस्टेंट कमांडेंट कर रहे हैं. नागराकाटा थाने में इनके खाने की व्यवस्था की गयी है. 60 जवान तीन पालियों में 24 घंटे पहरेदारी करेंगे.