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अगले वर्ष होने वाले विस चुनाव से पहले अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की तैयारियां शुरू हो गयी है.

संवाददाता, कोलकाता.

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की तैयारियां शुरू हो गयी है. पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आयोग ने मंगलवार से एसआइआर अभियान की तैयारियां शुरू की हैं और इसके तहत राज्यभर में चुनाव अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाया गया है. राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल ने मंगलवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की. उनके साथ अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी दिब्येंदु दास और अरिंदम नेगी भी मौजूद रहे. इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रशिक्षकों को तैयार करना है, ताकि वे बूथ स्तरीय अधिकारियों को मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया के बारे में सही ढंग से मार्गदर्शन कर सकें. बताया गया है कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से, राज्य के सभी जिलों के बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ), निर्वाचक पंजीयन अधिकारियों (ईआरओ) और सहायक जिलाधिकारियों को एसआइआर प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी जायेगी. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बीएलओ का प्रशिक्षण 19 तारीख तक पूरा करना होगा. अगले चरण में सहायक जिलाधिकारी और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके बाद यही अधिकारी बूथ स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित करेंगे. बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करेंगे, फॉर्म भरवाने में मदद करेंगे और दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे. चुनाव आयोग के उप आयुक्त ज्ञानेश भारती इसी सप्ताह कोलकाता पहुंचेंगे. वे तैयारियों की समीक्षा करेंगे और अभियान की प्रगति पर नजर रखेंगे. आयोग ने अधिकारियों को जिलास्तर पर मतदाता मैपिंग की प्रक्रिया भी शुरू करने का निर्देश दिया है.

2002 की मतदाता सूची से नवीनतम सूची के साथ मिलाने का निर्देश

पश्चिम बंगाल में पिछली बार यह एसआइआर 2002 में आयोजित की गयी थी और इस बार 2002 की सूची की तुलना जनवरी 2025 में प्रकाशित नवीनतम सूची से करने का निर्देश दिया गया है. इस पहल से विशेषकर बुजुर्ग मतदाताओं को राहत मिलेगी और उन्हें अपनी पात्रता साबित करने में अतिरिक्त दिक्कत नहीं होगी. एसआइआर मूलतः 2002 की मतदाता सूची के आधार पर की जायेगी. जिन लोगों के नाम सूची में हैं, उन्हें किसी भी दस्तावेजी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी. जिन लोगों के नाम 2002 की सूची में नहीं हैं, लेकिन जिनके माता या पिता का नाम 2002 की सूची में है, वे भी दस्तावेजी प्रमाण दिखाकर नयी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं.

गौरतलब है कि बिहार में एसआइआर पहले ही शुरू हो चुका है और लगभग 65 लाख मतदाता सूची से हटाये गये हैं. ऐसे में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगाल में यह कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाना है, ताकि फर्जी मतदाताओं या अवैध नामों को शामिल होने से रोका जा सके.

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में यह प्रशिक्षण शुरू किया गया है, ताकि राज्य के 81,000 से ज्यादा बूथों को कवर किया जा सके. सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार से शुरू हो रहे इस प्रशिक्षण में सबसे पहले प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा, जो बाद में बीएलओ को प्रशिक्षित करेंगे. इस प्रक्रिया में राज्य के 79,000 बीएलओ नियुक्त किये गये हैं और उन्हें दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं.

जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त 18-19 सितंबर को राज्य का दौरा करेंगे और एसआइआर की तैयारियों की निगरानी करेंगे. इससे पहले, 12 से 20 सितंबर के बीच 2002 और 2025 की सूचियों का तुलनात्मक कार्य शुरू हो चुका है, जिसमें प्रत्येक मतदाता के नाम, माता-पिता का नाम और अन्य जानकारियों का सत्यापन किया जायेगा.

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