हाइकोर्ट ने कहा : सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार करनी होगी नियुक्ति
एसएससी को नये सिरे से अधिसूचना जारी करने का निर्देश
संवाददाता, कोलकाताकलकत्ता हाइकोर्ट ने सोमवार को स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) को निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, बर्खास्त किये गये शिक्षकों में जिन्हें अयोग्य के रूप में चिह्नित किया गया है, वह नयी नियुक्ति प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते. न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य की पीठ ने एसएससी से कहा कि ‘अयोग्य’ के रूप में पहचाने गये लोगों को छोड़कर नयी नियुक्ति प्रक्रिया क्रियान्वित करनी होगी. अदालत ने नये सिरे से अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने हाइकोर्ट को बताया कि नियुक्ति घोटाले में फंसे उम्मीदवारों को दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने से रोकना उनकाे दोहरी सजा देने जैसा होगा, क्योंकि उनकी नौकरी और वेतन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जा चुका है. वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंद्योपाध्याय ने न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य की बेंच के सामने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं भी यह नहीं कहा कि आरोपी उम्मीदवार दोबारा परीक्षा नहीं दे सकते, बल्कि सिर्फ यह कहा कि उन्हें उम्र में छूट नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि जिनकी नौकरी जा चुकी है और जिनसे वेतन की वसूली का आदेश हो चुका है, उनके लिए मामला वहीं खत्म होना चाहिए. अब दोबारा सज़ा देना अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा.इस पर न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि जो उम्मीदवार दोषपूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया का लाभ लेकर आये हैं, उन्हें उसके परिणाम तो भुगतने ही होंगे. एसएससी के वकील कल्याण बंद्योपाध्याय द्वारा दिये गये तर्कों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि 2016 के पैनल से किसी भी दागी या अयोग्य उम्मीदवार के आवेदन को खारिज करना होगा. उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जिन लोगों की पहचान सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नौकरी पाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए की गयी थी, उन्हें नयी नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जायेगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में इससे संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के खंडपीठ द्वारा दिये गये फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों के 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया और पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को “दोषपूर्ण” बताया था. इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि नयी भर्ती प्रक्रिया में 44,203 रिक्तियां भरी जायेंगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर, 2025 से पहले पूरा करने का आदेश दिया है.हाइकोर्ट ने कहा- 31 दिसंबर तक पूरी करनी होगी नियुक्ति प्रक्रिया
एसएससी द्वारा नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी करने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई मामले दायर किये गये थे. मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि अयोग्य या दागी उम्मीदवार नियुक्ति प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते. एसएससी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि परीक्षा में बैठने के लिए कौन योग्य है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. योग्य उम्मीदवारों की ओर से अधिवक्ता अनिंद्य मित्रा ने कहा कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बर्खास्त किये गये ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मचारियों को उनके वर्तमान रोजगार में बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसमें अयोग्य उम्मीदवारों की संख्या काफी अधिक है. साथ ही उन्होंने नयी नियुक्ति प्रक्रिया में अयोग्य उम्मीदवारों के शामिल होने पर भी रोक लगा दी है. इसके बाद ही न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि नयी नियुक्ति प्रक्रिया में अयोग्य या दागी उम्मीदवार शामिल नहीं हो सकते. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, 31 दिसंबर 2025 तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

