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रेड-लाइट इलाकों में एसआइआर शिविर

राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत यौनकर्मियों को गणना प्रपत्र भरने में मदद करने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने बुधवार को कोलकाता के कई रेड-लाइट इलाकों में शिविर का आयोजन किया.

कोलकाता. राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत यौनकर्मियों को गणना प्रपत्र भरने में मदद करने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने बुधवार को कोलकाता के कई रेड-लाइट इलाकों में शिविर का आयोजन किया. एक अधिकारी ने बताया कि ये शिविर शहर के खिदिरपुर, कालीघाट और चेतला इलाकों के रेड-लाइट क्षेत्रों में आयोजित किये गये. यह कदम पूर्व कोलकाता के एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट क्षेत्र सोनागाछी में इसी तरह के सहायता शिविरों के आयोजन किये जाने के एक दिन बाद उठाया गया है. अधिकारी ने बताया कि तीनों रेड लाइट इलाकों में बनाये गये विशेष शिविरों ने सुबह 11 बजे से काम करना शुरू कर दिया था. निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने बताया : ये विशेष शिविर खिदिरपुर के मुंशीगंज मार्ग पर स्थित फाइव स्टार क्लब में और 148 कालीघाट मार्ग पर आयोजित किये गये थे. दोनों शिविर दोपहर 12.40 बजे तक बंद कर दिये गये थे. अधिकारी ने बताया कि चेतला में शिविर का संचालन शाम चार बजे तक चला. अधिकारी ने बताया कि खिदिरपुर में कम से कम 70 यौनकर्मी हैं, जबकि कालीघाट में इनकी संख्या लगभग 100 है और चेतला में लगभग 60 यौनकर्मी हैं. जानकारी के मुताबिक यौनकर्मियों और उनके बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले विभिन्न संगठनों द्वारा कई चिंताजनक मुद्दे उठाये जाने के बाद इस पहल की शुरुआत की गयी है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने आश्वासन दिया था कि समुदाय (यौनकर्मियों) की चिंताओं को दूर करने और उनका समर्थन करने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जायेगा. मंगलवार को सोनागाछी में 805 यौनकर्मी निर्वाचन आयोग के सहायता शिविरों में उमड़ पड़े, उनके चेहरों पर चिंता साफ झलक रही थी. हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि एक भी पात्र मतदाता को मतदान से वंचित नहीं होने दिए जायेगा. उत्तर कोलकाता के वार्ड नंबर 18 की संकरी गलियों और भीड़भाड़ वाली कोठियों में वर्षों से रह रही कई महिलाओं ने कहा कि उन्हें डर है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिये जायेंगे क्योंकि उनके पास पारिवारिक संबंधों को दर्शाने वाला कोई प्रमाण नहीं है या फिर दशकों पहले तस्करी किये जाने, छोड़ दिये जाने या घर से भाग जाने के बाद वे लंबे समय से अपने परिवारों के संपर्क में नहीं हैं.

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