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बंगाल सरकार की उदासीनता से अधर में लटका है रानीगंज मास्टर प्लान : केंद्र सरकार

पश्चिम बर्दवान जिले के रानीगंज क्षेत्र में भूमिगत आग व भू धंसान की वजह से विस्थापित हजारों परिवारों के पुनर्वास के लिए रानीगंज मास्टर प्लान बनाया गया है. लेकिन, आरोप है कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण यह परियोजना अब तक लागू नहीं हो पायी है.

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केंद्रीय कोयला व खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने भाजपा सांसद शमिक भट्टाचार्य के सवाल पर दिया जवाब

2009 में रानीगंज मास्टर प्लान को दी गयी थी मंजूरीसंवाददाता, कोलकातापश्चिम बर्दवान जिले के रानीगंज क्षेत्र में भूमिगत आग व भू धंसान की वजह से विस्थापित हजारों परिवारों के पुनर्वास के लिए रानीगंज मास्टर प्लान बनाया गया है. लेकिन, आरोप है कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण यह परियोजना अब तक लागू नहीं हो पायी है. इसकी वजह से योजना का खर्च भी लगभग 93.35 प्रतिशत बढ़ चुका है. यह जानकारी मंगलवार को केंद्रीय कोयला व खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने भाजपा सांसद शमिक भट्टाचार्य के सवाल पर दी. केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि परियोजना की लागत में पहले ही 93.35 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है और इसमें 60 महीने की देरी हो चुकी है.

विस्थापित परिवारों को चरणबद्ध तरीके से प्रदान किये जायेंगे आवासन: केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि इस देरी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने नया प्लान बनाया है. इसके तहत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा फ्लैटों के पूरा होने के अनुसार चरणबद्ध तरीके से घरों/प्रभावित परिवारों को पुनर्वास स्थलों पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है. बताया गया है कि अब तक 4560 फ्लैटों का निर्माण पूरा हो चुका है और इन फ्लैटों को जल्द ही पीड़ित परिवारों को प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.

रानीगंज के 28,991 परिवार का भविष्य खतरे में : अमित मालवीयइसे लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार की निष्क्रियता ने प्रगति को रोक दिया है. इससे 28,991 परिवारों के भविष्य पर संकट के बादल छा गये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कदम उठाते हुए भूमि अधिग्रहण के मुद्दों को हल करना चाहिए और प्रभावित परिवारों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए परियोजना में तेजी लानी चाहिए.

इन कारणों से बाधित हो रही परियोजना

बताया गया है कि आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) ने अभी तक गैर-इसीएल घरों के लिए जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है और न ही इसे प्रकाशित नहीं किया है. बताया गया है कि लीगल टाइटल होल्डर (एलटीएच) हाउस की मूल्यांकन रिपोर्ट भी एडीडीए के समक्ष लंबित है. इसके साथ ही कोयला मंत्रालय ने बताया है कि रानीगंज मास्टर प्लान के लिए आवश्यक 362.5 एकड़ में से केवल 151.72 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है, शेष 210.77 एकड़ को लेकर राज्य सरकार को कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही है. सिर्फ यही नहीं, पुनर्वास के लिए बनाये जाने वाले फ्लैटों का निर्माण भी काफी धीमा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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