कोलकाता. जब भी बंगाल के इतिहास की बात होती है, तो नवाब सिराजुद्दौला का नाम अवश्य आता है. 1757 में पलासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार के बाद बंगाल में नवाब संस्कृति का पतन हो गया था और इसके बाद से यहां अंग्रेजों का शासन शुरू हुआ. सिराजुद्दौला का नाम आज भी मुर्शिदाबाद में पर्यटकों को आकर्षित करता है. भागीरथी का यह पूर्वी तट इतिहास प्रेमियों के लिए अध्ययन का विषय है. लेकिन भागीरथी के पश्चिमी तट पर स्थित उनका जन्मस्थान गुमनामी में डूब चुका है. सिराजुद्दौला ने जन्म के बाद जीवन का अधिकांश समय यहीं बिताया था, जहां की मंसूरगंज पैलेस, हीरा झील और आसपास की विशाल संपत्ति रहस्यमय तरीके से निजी स्वामित्व में चली गयी है. कथित तौर पर, सिराजुद्दौला की संपत्ति कम से कम 32 लोगों के नाम पर अलग-अलग डीड के तहत बेची गई है. सिराजुद्दौला की याद में भागीरथी के पश्चिमी तट पर स्थित इस पूरे क्षेत्र के जीर्णोद्धार, नवीनीकरण और संरक्षण की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है, जिस पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की खंडपीठ में इसी सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है.
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