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बीएलओ की सुरक्षा पर आयोग व राज्य को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की मांग पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग, राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

17 दिसंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई

संवाददाता, कोलकातासुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की मांग पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग, राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में दावा किया गया था कि राज्य में बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) को डराने-धमकाने की घटनाएं बढ़ रही हैं और पूर्व में चुनाव-संबंधी हिंसा के उदाहरण भी सामने आ गये हैं. याचिकाकर्ता सनातनी संसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी गिरि पेश हुए और तर्क दिया कि ऐसे हालात में बूथ अधिकारियों को तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है. अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की भूमिका पर स्पष्ट टिप्पणी की. सीजेआइ ने कहा कि जहां-जहां कानून-व्यवस्था की समस्या दिखायी दे, वहां आयोग को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, अन्यथा स्थिति अराजकता की ओर जा सकती है. मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने बीएलओ की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की. प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि जमीनी स्तर पर बीएलओ को मिल रही धमकियां गंभीर मुद्दा बन सकती हैं. इनकी सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि बीएलओ से जुड़े निर्देश देशभर में लागू होंगे. उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि चुनाव से जुड़े मामलों में राजनीतिक संगठन बार-बार अदालत पहुंच रहे हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी नेता यहां इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह मंच उन्हें सुर्खियों में रखेगा.

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची ने याचिका में पेश किये गये दस्तावेजों पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पर सिर्फ एक एफआइआर मौजूद है, बाकी संदर्भ ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े हैं. न्यायमूर्ति बागची ने स्पष्ट किया कि राज्य पुलिस को चुनाव आयोग के नियंत्रण में देने जैसी मांग के लिए याचिकाकर्ता को असाधारण कानून-व्यवस्था स्थिति का प्रथमदृष्टया सबूत प्रस्तुत करना होगा. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता को पहले राज्य सरकार से अतिरिक्त बलों की मांग करनी चाहिए. ‘यदि राज्य सरकार मदद न करे, तभी आप यहां आ सकते हैं.’

क्या कहा चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने :

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि स्थानीय पुलिस को आयोग के अधीन किये बिना मैदान में प्रभावी कार्रवाई में कुछ सीमाएं बनी रहती हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में कुछ स्थानों पर चुनाव अधिकारियों को घेरे जाने की घटनाएं सामने आयी हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि बीएलओ की सुरक्षा राज्य पुलिस के सहयोग पर निर्भर है, जरूरत पड़ी तो केंद्रीय बल तैनात किये जा सकते हैं. इस पर प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा कि आयोग के पास कार्रवाई का अधिकार है और उसे इसका उपयोग करना चाहिए. अदालत ने आयोग और केंद्र सरकार दोनों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह आयोग का जवाब मिलने के बाद आगे की कार्यवाही पर विचार करेगी.

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