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हुगली : कुंभ मेले में हुए थे लापता, श्रीरामपुर से बरामद, अब लौटे बिहार के बुजुर्ग वकील मंडल

कुंभ मेले में बिछुड़ने की कहानी पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन बिहार के इस बुजुर्ग की वापसी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है

कुंभ मेले में बिछुड़ने की कहानी पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन बिहार के इस बुजुर्ग की वापसी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है

हुगली. परिवार और रिश्तेदारों के साथ पवित्र स्नान के लिए बिहार के भागलपुर जिले से प्रयागराज 85 वर्षीय वकील मंडल पहुंचे थे. यह जनवरी महीने की बात है, जब कुंभ मेले में भीषण आग लग गयी थी. आग में कई साधु-संतों के अखाड़े जलकर खाक हो गये थे. अफरातफरी मच गयी थी. टीवी पर दिखे दृश्य– लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे, प्रशासन राहत कार्य में जुटा था. उसी दिन से वकील मंडल लापता हो गये थे. आग लगी, जानें गयीं, कई श्रद्धालु लापता हो गये– उन्हीं में से एक थे बुजुर्ग वकील मंडल. चार महीने बीत गये, काफी खोजबीन के बाद भी जब कुछ पता नहीं चला तो परिजनों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन जब हैम रेडियो से उनके परिवार से संपर्क हुआ, तो सभी चौंक गये. क्या ऐसा भी संभव है? 25 मार्च की रात वकील मंडल बेहद गंभीर हालत में श्रीरामपुर जीटी रोड के पास पाये गये. उनकी ना चलने की ताकत थी, ना बोलने की. सड़क के किनारे पड़े थे. श्रीरामपुर थाना के प्रभारी सुखमय चक्रवर्ती और स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें श्रीरामपुर वाल्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. तब तक उनकी पहचान अज्ञात थी. इलाज चलता रहा. स्वास्थ्य में कुछ सुधार तो हुआ, परंतु उनकी याददाश्त चली गयी थी. वे कुछ बता नहीं पा रहे थे. मंगलवार को अस्पताल के सहायक अधीक्षक बसुदेव जोआरदार ने हैम रेडियो से संपर्क किया. उन्होंने वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरिश नाग विश्वास को फोन कर इस अज्ञात बुजुर्ग की जानकारी दी. फिर शुरू हुआ रेडियो क्लब का अभियान. बुजुर्ग की तस्वीर पूरे देश के क्लब सदस्यों के बीच फैला दी गयी. कुछ ही घंटों में बुजुर्ग की पहचान हो गयी. उनका नाम वकील मंडल है. वे बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव थाना अंतर्गत सेकपुरा कुलकुलिया गांव के निवासी हैं. पहले गांव में चौकीदार के पद पर कार्यरत थे. तीन साल पहले पत्नी का देहांत हो गया था. उम्र के कारण ज़्यादातर समय घर पर ही बिताते थे. जीवन ठीक ही चल रहा था, लेकिन जब कुंभ स्नान के लिए परिवार और गांव के लोगों के साथ निकले, तभी ये हादसा हुआ, लेकिन वे श्रीरामपुर कैसे पहुंचे, इस बारे में वे कुछ नहीं बता सके. अंततः हैम रेडियो की मदद से उनकी घर वापसी हुई. बीते मंगलवार की रात ही उनके चार बेटे बिहार से ट्रेन पकड़कर श्रीरामपुर के लिए रवाना हुए और बुधवार सुबह पहुंचकर अपने खोए हुए पिता को अस्पताल से लेकर गांव वापस लौट गये.

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