संवाददाता, कोलकाता.
कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने में मेट्रो रेलवे अग्रणी भूमिका निभा रहा है. सरकार की पीएम सूर्य घर योजना नीति और भारतीय रेलवे के 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लक्ष्य के अनुरूप मेट्रो रेलवे ने महत्वपूर्ण प्रगति की है.
मेट्रो रेलवे के पास वर्तमान में विभिन्न स्थानों पर कुल 4.556 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हैं. इनमें शामिल हैं- ब्लू लाइन: नोआपाड़ा, दमदम, बेलगछिया टनल रैंप, महानायक उत्तम कुमार और कवि सुभाष स्टेशनों के साथ-साथ तपन सिन्हा मेमोरियल अस्पताल में 1136.5 किलोवाट के संयंत्र. ग्रीन लाइन: साल्टलेक सेक्टर पांच, सेंट्रल पार्क स्टेशनों और सेंट्रल पार्क डिपो में 1519 किलोवाट क्षमता के संयंत्र. पर्पल लाइन: जोका कारशेड में 1400 किलोवाट क्षमता का कार्यरत संयंत्र. ऑरेंज लाइन: कवि सुभाष के नए कारशेड में 500 किलोवाट क्षमता का कार्यरत सौर ऊर्जा संयंत्र. इस वर्ष अप्रैल तक, मेट्रो रेलवे ने सौर ऊर्जा से 47.21 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया है.
वर्तमान में मेट्रो रेलवे हर साल 57 लाख यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है, जिससे सालाना 49 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट कम हो रहा है. इस उत्पादन क्षमता को और बढ़ाने के लिए कई नयी परियोजनाएं चल रही हैं. जैसोर रोड मेट्रो स्टेशन के पास 1500 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का काम प्रगति पर है. इसके अलावा, जैसोर रोड मेट्रो स्टेशन और अन्य स्थानों पर 654 किलोवाट क्षमता के अतिरिक्त संयंत्र भी लगाये जा रहे हैं.
रेलवे बोर्ड ने नोआपाड़ा में 4000 किलोवाट क्षमता और नोआपाड़ा कारशेड की छतों पर 5000 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने को भी मंजूरी दे दी है. यह पहल मेट्रो रेलवे को पर्यावरण-हितैषी परिवहन के एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में स्थापित कर रही है.
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