कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं को 16 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
महुआ मोइत्रा ने नौ अप्रैल को याचिका दायर की. उन्होंने कहा कि विवादास्पद संशोधन न केवल गंभीर प्रक्रियात्मक खामियों से ग्रस्त है, बल्कि संविधान में निहित कई मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है.
याचिका में दलील दी गयी है कि कानून बनाने की प्रक्रिया के दौरान संसदीय प्रथाओं का उल्लंघन हुआ. याचिका में कहा गया है, ‘प्रक्रियात्मक रूप से, संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर समिति की मसौदा रिपोर्ट पर विचार और उसे अपनाने के चरण में तथा संसद के समक्ष उक्त रिपोर्ट की प्रस्तुति के चरण में संसदीय नियमों और प्रथाओं का उल्लंघन किया.’ याचिका में कहा गया है कि विपक्षी सांसदों की असहमति वाली राय को 13 फरवरी, 2025 को संसद में प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट से बिना किसी औचित्य के हटा दिया गया.
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