संवाददाता, कोलकाता.
बाजार में कच्चे जूट की कीमतें 9,000 प्रति क्विंटल का आंकड़ा पार कर गयी है, इसलिए जूट मिलों में कच्चे माल की किल्लत पैदा हो गयी है. इसी बीच, जूट आयुक्त कार्यालय ने सख्त कदम उठाते हुए स्टॉक नियंत्रण आदेश जारी किया है. नये आदेश के तहत अब बेलर्स, जिनके पास प्रेस हैं, वे अधिकतम 2000 क्विंटल तक ही कच्चा जूट रख पायेंगे. अन्य स्टॉकिस्ट को 300 क्विंटल तक सीमित किया गया है. वहीं, मिलें अपनी वर्तमान उत्पादन दर के अनुसार केवल 45 दिन का स्टॉक रख सकेंगी. जूट आयुक्त कार्यालय ने यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया है. इस बार जूट मिलें सीजन की शुरुआत में ही न्यूनतम स्टॉक के साथ चल रही हैं. सामान्यतः जुलाई–सितंबर महीनें में मिलें लगभग 10 लाख बेल स्टॉक कर लेती हैं, लेकिन इस बार औसत से बहुत कम भंडार उपलब्ध है. ऐसे समय में जब त्योहारों के मौसम में खाद्यान्न पैकेजिंग की मांग चरम पर होती है, मिलों को खुले बाजार से महंगे दाम पर जूट खरीदकर उत्पादन जारी रखना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि सितंबर की शुरुआत में जूट आयुक्त ने सरकारी बी-ट्विल बोरियों की कीमत 1,28,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन पर “अगले आदेश तक” तय कर दी थी. उद्योग जगत का कहना है कि इस स्थिर मूल्य से मिलें घाटे में जा रही हैं, क्योंकि उन्हें कच्चा जूट ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ रहा है, लेकिन बोरियां तय दर पर ही सप्लाई करनी पड़ रही हैं. अब स्टॉक नियंत्रण आदेश का उद्देश्य जमाखोरी और सट्टेबाज़ी पर रोक लगाना है.
जूट आयुक्त ने आदेश के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. मिलों और स्टॉकिस्ट को अब साप्ताहिक आधार पर “जूट स्मार्ट पोर्टल” पर अपनी स्टॉक स्थिति दर्ज करनी होगी और निरीक्षण में गड़बड़ी मिलने पर ज़ब्ती और सजा का प्रावधान किया गया है.
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