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किसान के बेटे को मेडिकल कॉलेज में दाखिला से रोक रही हैं अदृश्य ताकतें

कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक किसान के बेटे को मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने से कोई अदृश्य ताकत रोक रही है

न्यायाधीश बोले- सिस्टम में बैठे लोग गरीबों के सपनों के खिलाफ बाधा बन रहे हैं

संवाददाता, कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक किसान के बेटे को मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने से कोई अदृश्य ताकत रोक रही है. जानकारी के अनुसार, उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर का रहने वाला ताहिर आलम ने नीट परीक्षा पास करने के बाद बजबज स्थित जगन्नाथ मेडिकल कॉलेज में दाखिले का प्रस्ताव पाया. इस निजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन और पढ़ाई के लिए राज्य सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त कुल शुल्क 25 लाख रुपये थे.

ताहिर आलम जब कॉलेज गया, तो उसे बताया गया कि पैसे एसएसकेएम में जमा करने होंगे. उसने अग्रिम राशि के रूप में 10 लाख रुपये जमा करने की पेशकश की, लेकिन कॉलेज ने कहा कि पूरा शुल्क 25 लाख रुपये एक साथ ड्राफ्ट के माध्यम से जमा करना होगा. वह पूरी राशि जुटा नहीं पाया और इसके कारण आवेदन फॉर्म जमा नहीं हो सका. इस पर ताहिर आलम ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान न्यायाधीश बसु ने कहा, “एक किसान के बेटे का सपना ऐसे बर्बाद नहीं किया जा सकता. भविष्य में यह स्टूडेंट देश का जाना-माना डॉक्टर बन सकता है. सिस्टम में बैठे लोग ही अक्सर गरीबों के खिलाफ काम कर रहे हैं.” हाइकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

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