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चिटफंड कंपनियों की जमीन को लेकर कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने चिटफंड कंपनियों की संपत्तियों को बेच कर निवेशकों का रुपया लौटाने का निर्देश दिया है. लेकिन जमीन की नीलामी को लेकर एक नया विवाद सामने आ गया है. मालदा शहर के इंग्लिशबाजार थाने के अंतर्गत एनेक्स ग्रुप और वारिस ग्रुप नाम की चिटफंड कंपनियों के नाम पर दो संपत्तियां पंजीकृत हैं.

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने चिटफंड कंपनियों की संपत्तियों को बेच कर निवेशकों का रुपया लौटाने का निर्देश दिया है. लेकिन जमीन की नीलामी को लेकर एक नया विवाद सामने आ गया है. मालदा शहर के इंग्लिशबाजार थाने के अंतर्गत एनेक्स ग्रुप और वारिस ग्रुप नाम की चिटफंड कंपनियों के नाम पर दो संपत्तियां पंजीकृत हैं. लेकिन जब हाइकोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के अधिकारी उक्त संपत्ति का निरीक्षण करने पहुंचे, तो पता चला कि इनमें से एक जमीन इंग्लिशबाजार नगरपालिका के कब्जे में है, और दूसरी जमीन पर रातोंरात एक मंदिर बना दिया गया है.

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर 2015 में न्यायमूर्ति शैलेंद्र प्रसाद तालुकदार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. समिति का उद्देश्य चिटफंड कंपनियों की संपत्ति जब्त कर जमाकर्ताओं का पैसा वापस करना था. वर्तमान में, पूर्व न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

इस समिति की सिफारिश पर, सेबी ने पांच अगस्त को जमीन की नीलामी के लिए अधिसूचना जारी की. लेकिन निरीक्षण के दौरान पता चला कि दोनों जमीनों पर सरकार का वास्तविक कब्जा नहीं है. वकील अरिंदम दास ने अदालत में जमीन की तस्वीरें और कब्जे के सबूत पेश किये. इस मामले में अब हाइकोर्ट ने जिले के प्रशासनिक अधिकारी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

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