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शिक्षकों पर कॉपियां चेक करने का बढ़ा दबाव

स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गयी है और शिक्षकों पर परीक्षा की कॉपियाँ देखने का दबाव बढ़ रहा है. यह दबाव कब खत्म होगा

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कोलकाता. स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गयी है और शिक्षकों पर परीक्षा की कॉपियाँ देखने का दबाव बढ़ रहा है. यह दबाव कब खत्म होगा, यही उनकी चिंता है.

ऐसे कई स्कूल हैं जिनमें कुछ हजार से अधिक विद्यार्थी हैं. विभिन्न विषयों में शिक्षकों की कमी के कारण उन स्कूलों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. परिणामस्वरूप, छात्रों को कक्षाएं लेते समय अतिरिक्त नोटबुक भी देखनी पड़ती हैं. परिणामस्वरूप, अंशकालिक शिक्षकों और अन्य शिक्षकों पर दबाव बढ़ रहा है. स्कूलों में कक्षा 5 से 10 तक के लिए यूनिट टेस्ट (प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा) पूरी हो चुकी हैं. कई स्कूलों ने इन परीक्षाओं के दौरान शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नियुक्त किया था. कई शिक्षक एक ही समय में कई स्कूलों में काम करने चले गये हैं, परिणामस्वरूप, अधिकारियों को स्कूलों में परीक्षा प्रश्नपत्र देखने को लेकर दुविधा का सामना करना पड़ रहा है. इस माहौल में सहायक अध्यापकों और स्कूल के बाकी शिक्षकों को अतिरिक्त परीक्षा कॉपियों को देखना पड़ रहा है. कुछ स्थानों पर तो सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी अभिलेखों की देखभाल की जिम्मेदारी दी जा रही है.

इसके अलावा विभिन्न जिलों के कई अन्य स्कूलों में भी स्थिति ऐसी ही है. पुरुलिया के पारा ब्लॉक के भागाबांध हाई स्कूल में पांच लोगों की नौकरी चली गयी है, उस स्कूल में केवल एक गणित शिक्षक है. उसे अकेले ही एक हजार पुस्तकें देखनी पड़ती हैं. नदिया के कालीगंज स्थित डी.के. गर्ल्स हाई स्कूल में स्कूल की एकमात्र गणित शिक्षिका को पांचवीं से दसवीं कक्षा तक की हजारों नोटबुक देखनी पड़ रही हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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