अभिभावकों को जागरूक होना जरूरी- डॉ दत्ताहावड़ा. ग्रामीण हावड़ा के कई ब्लॉक में नाबालिग लड़कियों की शादी और उनके मां बनने पर स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ती जा रही है. विभाग का कहना है कि इस पर रोक लगाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन जब तक अभिभावक सचेत नहीं होतो, इसे पूरी तरह से रोक पाना लगभग असंभव होगा. जिन इलाकों में नाबालिग लड़कियों की शादियां अधिक हो रही हैं, वहां संबंधित ब्लॉक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी महीने के अंतिम शनिवार को स्थानीय पंचायत के साथ बैठक कर ग्रामीणों को सचेत करते हैं. आशा कर्मियों को भी इस काम में लगाया गया है. बावजूद इसके अभिभावक चोरी-छुपे अपनी नाबालिग बेटियों की शादियां करवा रहे हैं.
गत वर्ष 1500 नाबालिग लड़कियां बनीं मां : पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में श्यामपुर दो नंबर ब्लॉक में करीब 1500 नाबालिग लड़कियां मां बनी हैं. उलबेड़िया एक और दो नंबर ब्लॉक में भी लगभग इसी तरह के आंकड़े सामने आये हैं. सर्वे के अनुसार, नाबालिग लड़कियों की शादियां उन इलाकों में अधिक हुई हैं, जहां आर्थिक तंगी है.कई माता-पिता बेटी के 18 वर्ष की होने से पहले ही किसी तरह से उसकी शादी करने की फिराक में रहते हैं. उन्हें इस बात से लेना-देना नहीं रहता है कि यह फैसला उनकी बेटी के स्वास्थ्य के लिए घातक है और यह गैर-कानूनी भी है. प्रशासन को अग्रिम सूचना मिलने पर इन शादियों को रोका भी जाता है. पंचायत प्रधान और बीडीओ शादी की खबर मिलते ही दोनों पक्षों के अभिभावकों से मिलकर शादी नहीं कराने की नसीहत देते हैं, लेकिन चोरी-चुपके शादियों का सिलसिला अभी भी जारी है.
उठाये जा रहे कदम
इस बारे में पूछे जाने पर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ किशलय दत्ता ने कहा कि ग्रामीण हावड़ा में किशोरावस्था में मातृत्व की दर पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी से घटकर 11 फीसदी हुई है. हालांकि इस संख्या को शून्य करने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए अभिभावकों को सजग होने की जरूरत है. कन्याश्री परियोजना के शुरू होने के बाद लड़कियों की कम उम्र में शादी पर काफी हद तक रोक लगी है. इसके बावजूद इतनी अधिक संख्या में नाबालिग लड़कियां मां बन रही हैं. यह चिंता का विषय है.
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