मिली छह दिनों की पुलिस रिमांड हुगली. डानकुनी थाने की पुलिस ने किताब छापने की आड़ में डियर लॉटरी का नकली टिकट छापने और बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन पांच में से दो आरोपियों को श्रीरामपुर कोर्ट में पेश कर छह दिनों की रिमांड पर लिया गया है, जबकि तीन को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. गुप्त सूचना के आधार पर हुई कार्रवाई: पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि डानकुनी नगरपालिका के दो नंबर वार्ड के पार डानकुनी इलाके में लॉटरी के नकली टिकट छापे जा रहे हैं. मंगलवार को थाना प्रभारी शांतनु सरकार के नेतृत्व में पुलिस ने गोदाम में छापेमारी कर पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया. पूछताछ के बाद दो और आरोपियों को पकड़ा गया. पुलिस के अनुसार, यह गोरखधंधा बेहद गुप्त तरीके से संचालित हो रहा था. देर रात टिकटों की प्रिंटिंग की जाती थी और फिर इन्हें बाजार में सप्लाई किया जाता था. लॉटरी के इन नकली टिकटों पर पहले कोई नंबर नहीं होता था, जिससे अंदेशा है कि कहीं और उन पर नंबर डाले जाते थे और फिर इन्हें बाजार में बेचा जाता था. इसके जरिये आम लोगों को ठगा जा रहा था. ऐसे लोग जिनका सपना लॉटरी के जरिये अपनी तकदीर बदलने का था. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, एबी इंटरप्राइज नामक कंपनी ने किताब छापने के बहाने गोदाम किराये पर लिया था, लेकिन असल में वहां लॉटरी के नकली टिकटों को छापने का धंधा चल रहा था. स्थानीय पार्षद शेख असरफ अली ने कहा कि यह गिरोह लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ कर रहा था, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से इसका पर्दाफाश हो गया और आम जनता को इस धोखाधड़ी से बचा लिया गया. नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपियों में नारकेलडांगा के मोहम्मद जीशान, मोहम्मद हसन, मोहम्मद दानिश और मोहम्मद अय्याश शामिल हैं, जबकि टीटागढ़ से रुस्तम हुसैन को पकड़ा गया है. इनमें से मोहम्मद हसन और रुस्तम हुसैन को कोर्ट में पेश कर छह दिनों की रिमांड पर लिया गया है. पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी है और इस गिरोह के नेटवर्क की कड़ियों को खंगाल रही है. भाजपा ने लगाया आरोप इस घटना को लेकर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के संरक्षण में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा था, जिससे आम लोग ठगे जा रहे थे. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि उन्हें इस रैकेट की जानकारी नहीं थी और पुलिस ने खुद ही कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार किया. स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर उन्हें इस जालसाजी की जानकारी होती, तो वे खुद इसे बंद करा देते.
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