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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने पर मुख्यमंत्री को भेजा अवमानना का नोटिस

ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर टिप्पणी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा है

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कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर टिप्पणी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा है. यह मामला 2016 की एसएससी नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जिसमें पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था. इससे करीब 26 हजार अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं. ममता बनर्जी ने हाल ही में एक सभा में बेरोजगार हुए अभ्यर्थियों के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि सरकार उनकी नौकरियां वापस दिलाने का प्रयास कर रही है. इसी बयान को आधार बनाकर वकील सिद्धार्थ दत्ता ने अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए नोटिस भेजा है.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने फैसले का किया स्वागत : भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा ममता बनर्जी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया गया है, जो सही है. मैं इसका पूरा समर्थन करता हूं और इसका स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह मुख्यमंत्री ही क्यों न हो, जो संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का अनादर करता है, उसे परिणाम भुगतने होंगे. बहुत हो गया! यह सिर्फ़ बंगाल के बारे में नहीं है. यह न्याय के बारे में है. कानून के शासन के बारे में है. उन लाखों योग्य, शिक्षित युवाओं की आवाज़ के बारे में है, जिनका भविष्य छीन लिया गया. विफल मुख्यमंत्री को हर झूठ, हर घोटाले, हमारे लोकतंत्र के हर अपमान के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने किया पलटवार : तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित बेरोजगारों के पक्ष में खड़ी हैं. कुणाल घोष ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री नौकरी गंवाने वालों का समर्थन कर रही हैं और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास कर रही हैं. इस प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए ही अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा गया है. कुछ लोग कानूनी जटिलताएं खड़ी कर इस प्रक्रिया की रफ्तार धीमी करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री न्यायपालिका का सम्मान करती हैं और निष्पक्ष न्याय में विश्वास रखती हैं. पुनर्विचार की मांग करना अदालत की अवमानना नहीं है. उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राम-वाम वोट से नहीं जीत सकते तो कोर्ट में जटिलता पैदा करना चाह रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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