सीएम ने आरजी कर कांड के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन का किया समर्थन
संवाददाता, कोलकातामुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों को कोई धमकी नहीं दी है, जो आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या की घटना के विरोध में 21 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं.सुश्री बनर्जी ने कहा कि कुछ लोगों ने उन पर प्रदर्शन कर रहे जूनियर चिकित्सकों को धमकी देने का आरोप लगाया है, जो पूरी तरह से गलत है और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है. उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट कर अपनी सफाई दी है.
गत बुधवार को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए सुश्री बनर्जी ने प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सकों से तत्काल काम पर लौटने के लिए विचार करने का आग्रह किया था और कहा था कि वह हड़ताल व आंदोलन करनेवाले जूनियर डॉक्टरों के करियर को ध्यान में रखते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करना चाहतीं. प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी को ‘परोक्ष रूप से धमकी’ के तौर पर लिया और काम पर लौटने की मुख्यमंत्री की अपील को मानने से इनकार कर दिया.मुख्यमंत्री ने कहा : मैंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ बोला है. मैंने उनके खिलाफ इसलिए बोला है, क्योंकि केंद्र सरकार के समर्थन से वे हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं और अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने उनके खिलाफ आवाज उठायी है. उन्होंने अपने समर्थकों को दिये गये संदेश के संबंध में भी स्पष्टीकरण जारी किया है. सुश्री बनर्जी ने कहा : मैं यह भी स्पष्ट करना चाहती हूं कि बुधवार को अपने भाषण में मैंने जो वाक्यांश (फुंफकारना) का प्रयोग किया था, वह श्री रामकृष्ण परमहंस का एक उद्धरण है. महान संत ने कहा था कि कभी-कभी आवाज उठाने की जरूरत होती है. जब अपराध और आपराधिक वारदातें होती हैं, तो विरोध की आवाज उठनी ही चाहिए. उस मुद्दे पर मेरा भाषण महान रामकृष्ण के वक्तव्य का सीधा संदर्भ था.भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कथित अपमान के जवाब में अपने पुराने नारे ””””बदला नहीं, बदलाव”””” से हटते हुए विपक्षी दलों को धमकी दी है. तृणमूल की छात्र शाखा की रैली में सुश्री बनर्जी ने कहा कि बदलते समय और परिस्थितियों के अनुरूप नारे को अद्यतन करने की जरूरत है. उन्होंने 19वीं सदी के आध्यात्मिक संत रामकृष्ण परमहंस से जुड़ी एक कहानी का जिक्र करते हुए कहा : जब आपका अपमान किया जाता हो और दुष्प्रचार के माध्यम से आपको बदनाम किया जाता हो, तो प्रतिरोध और विरोध करने का समय आ जाता है. हालांकि, मैं कभी भी हिंसा को बढ़ावा नहीं देती, लेकिन जब आप पर ऐसे घिनौने हमले होते हैं, तो उसे चुपचाप बर्दाश्त न करें. आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, यह आप पर निर्भर करता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है