विदेश के 36 संस्थानों के साथ आयुष मंत्रालय ने किया समझौता
शिव कुमार राउत, कोलकाता
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद स्वदेशी व पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के विस्तार पर जोर दिया जा रहा है. केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी इसके प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा है. आयुर्वेद सहित होम्योपैथी, यूनानी, योग व सिद्ध के विस्तार पर भी जोर दिया जा रहा है. इस संबंध में आयुष मंत्रालय ने 25 देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया है. इसके अलावा विदेशों में स्थित 52 संस्थानों के साथ समझौते और 15 आयुष चेयर स्थापित किये गये हैं. यह जानकारी मंगलवार को राज्यसभा में आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने दी. वह कांग्रेस सांसद नीरज डांगी द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने आयुष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्रीय योजना (आइसी) विकसित की है. इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय आयुष उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आयुष औषधि निर्माताओं, आयुष सेवा प्रदाता को सहायता प्रदान करता है. आयुष चिकित्सा पद्धतियों के अंतरराष्ट्रीय प्रचार, विकास और मान्यता को सुगम बनाता है. वहीं, हितधारकों के बीच परस्पर संपर्क को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष के बाजार विकास व विदेश में आयुष अकादमिक पीठों की स्थापना के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देता है.इन देशों के साथ हुआ एमओयू
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कुल 25 देशों के साथ एमओयू किया है. इनमें बांग्लादेश, बोलिविया, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, क्यूबा,इक्वेटोरियल, गिनी, गाम्बिया, जर्मनी, हंगरी, ईरान, जापान, मॉरीशस, म्यामार, नेपाल, गिनी गणराज्य, सेंट विंसेंट और साओ टोम और प्रिंसिपे, जिम्बाबे व अंगोला जैसे देश शामिल हैं. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति व होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और बांग्लादेश के बीच भी समझौता हुआ है. इसी तरह तरह कोलंबिया के साथ भारत के आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के विस्तार के लिए समझौता हुआ है.इन देशों के संस्थानों के साथ हुए समझौते
यूएसए, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, यूएसए, अर्जेंटीना, इजराइल, जर्मनी और ब्राजील जैसे 52 देशों के संस्थानों के साथ समझौते हुए हैं.25 देशों के साथ हुआ एमओयू
आयुष राज्यमंत्री ने बताया कि विदेशों में आयुर्वेद सहित देश की अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विस्तार के लिए केंद्र ने 25 देशों के साथ एमओयू किया है. यही नहीं, विदेशों में स्थित 52 संस्थानों के साथ समझौता किया है. संस्थानों के साथ हुए समझौते में केवल आयुर्वेद के लिए सबसे अधिक 36 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं. वहीं, होम्योपैथी के आठ, योग के लिए चार, यूनानी के लिए तीन और सिद्ध के लिए एक समझौता हुआ है. बता दें कि इलाज के साथ रिसर्च पर जोर देने के लिए इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं. विभिन्न देशों में 15 आयुष चेयर भी स्थापित की गयी है. इनके जरिये भारतीय आयुष उन देशों में आयुष गाइड लाइन तैयार करते हैं.विश्व स्वास्थ्य संगठन का मिल रहा सहयोग
केंद्रीय राज्य मंत्री ने सदन को बताया कि आयुष मंत्रालय व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मध्य समझौतों के तहत पारंपरिक चिकित्सा की विश्वसनीयता और विश्वव्यापी स्वीकृति बढ़ाने के लिए विभिन्न सहयोग किये गये हैं. आयुष मंत्रालय के सहयोग से डब्ल्यूएचओ ने आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध पद्धतियों के लिए मानकीकृत शब्दावली दस्तावेज विकसित और प्रकाशित किये हैं. जिससे इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत, एकीकृत भाषा बनाने में मदद मिली है. डब्ल्यूएचओ के सहयोग आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति के अभ्यास और प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने के लिए संयुक्त रूप से मानक दस्तावेज तैयार किये गये हैं. ये दस्तावेज विश्व भर के चिकित्सकों के लिए सुरक्षा, गुणवत्ता और योग्यता पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं. वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सहयोग से वर्ष 2022 में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीटीएमसी) की स्थापना की.
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