संवाददाता, कोलकाता
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने 6,000 करोड़ रुपये के महादेव बुक ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले की जांच के सिलसिले में बुधवार को पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और नयी दिल्ली के करीब 60 ठिकानों में ताबड़तोड़ छापेमारी की. इनमें राजनीतिक नेताओं, वरिष्ठ नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों, महादेव बुक के प्रमुख पदाधिकारियों और मामले में शामिल होने के संदिग्ध अन्य निजी व्यक्तियों से जुड़े परिसर शामिल हैं. अभियान छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास व उनके कुछ करीबियों के आवासों में भी चलाया गया.
सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में सॉल्टलेक, न्यू टाउन, न्यू अलीपुर समेत पांच जगहों पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने अभियान चलाया है. बताया जा रहा कि इस दिन सुबह केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी सॉल्टलेक के एइ ब्लॉक स्थित एक व्यवसायी और उसके बेटे के आवास पहुंचे. वहां उनसे पूछताछ के साथ ही उनकी संपत्तियों से जुड़े तथ्यों को खंगाला गया. यहां सीबीआइ का अभियान शाम तक जारी रहा. यह मामला महादेव बुक के अवैध संचालन से संबंधित है, जो वर्तमान में दुबई में रह रहे रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर द्वारा प्रवर्तित एक ऑनलाइन सट्टेबाजी मंच है.
सीबीआइ की ओर से कहा गया कि ‘जांच से पता चला है कि प्रवर्तकों ने अपने अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क का सुचारू और निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के लिए लोकसेवकों को ‘संरक्षण धन’ के रूप में कथित रूप से बड़ी रकम का भुगतान किया.’ सीबीआइ द्वारा जारी अभियान में अभियोजन योग्य डिजिटल एवं दस्तावेजी साक्ष्य पाये गये हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है. महादेव बुक एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म है, जिसे रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर पर संचालित करने का आरोप है.
जांच के दौरान केंद्रीय एजेंसी को यह पता चला कि इस नेटवर्क को संचालित करने के लिए इसके प्रमोटरों पर कई सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों को मोटी रकम ‘प्रोटेक्शन मनी’ के रूप में देने का आरोप है, ताकि उनके काम में रुकावट न आये. इस मामले की पहले छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) की ओर से जांच की जा रही थी. इओडब्ल्यू द्वारा दर्ज प्राथमिकी में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के साथ महादेव एप के प्रवर्तक रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी और अनिल कुमार अग्रवाल तथा 14 अन्य को आरोपी बनाया गया था. बाद में मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया. दूसरी ओर मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (इडी) भी करने लगा. इडी ने भी आरोप लगाया है कि उसकी जांच से छत्तीसगढ़ के कई शीर्ष राजनीतिक नेताओं और नौकरशाहों की संलिप्तता का पता चला है.
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