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भाजपा का ‘सर-सर’ बंगाल में ‘मैडम’ के सामने कुछ नहीं

तृणमूल कांग्रेस सांसद शताब्दी राय ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को सत्तापक्ष के कुछ लोगों द्वारा ‘सर’ कहे जाने को लेकर भाजपा पर बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि भाजपा ‘सर-सर’ बोल कर जितना भी चीखे ,पश्चिम बंगाल में ‘मैडम’ के सामने कुछ नहीं कर पायेगी.

एजेंसियां, कोलकाता/ नयी दिल्ली

तृणमूल कांग्रेस सांसद शताब्दी राय ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को सत्तापक्ष के कुछ लोगों द्वारा ‘सर’ कहे जाने को लेकर भाजपा पर बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि भाजपा ‘सर-सर’ बोल कर जितना भी चीखे ,पश्चिम बंगाल में ‘मैडम’ के सामने कुछ नहीं कर पायेगी.

लोकसभा की सदस्य ने अपने वक्तव्य में ‘मैडम’ शब्द का उल्लेख बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदर्भ में किया. शताब्दी ने चुनाव सुधार पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कहा : निर्वाचन आयोग किसी पार्टी के लिए तो नहीं है. निर्वाचन आयोग किसी का बंधुआ मजदूर तो नहीं है. निर्वाचन आयोग किसी पार्टी को हराने-जिताने के लिए तो नहीं है. फिर आयोग के ऊपर इतने दाग क्यों लग रहे हैं? क्यों निर्वाचन आयोग पर सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के संदर्भ में कहा कि ‘सर’ शब्द के प्रति श्रद्धा की भावना होती है. लेकिन सत्तापक्ष के लोगों ने ‘एसआइआर,”” (सर) को डराने वाला गब्बर सिंह बना दिया. तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया कि एसआइआर पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.

उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा : ये लोग बंगाल के बारे में जो भी बोलते हैं, सब गलत है. इन्हें कुछ भी पता नहीं है. सिर्फ चुनाव के समय इनके नेता वहां पहुंच जाते हैं और हार कर आ जाते हैं. इस बार (2026) भी वही होगा. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा : आप बिहार के बारे में कहते हैं कि वहां जीते हैं, कोई बोल रहे हैं कि ‘लूटे’ हैं. लेकिन बंगाल में आप ऐसा नहीं कर सकते.

तृणमूल सांसद ने 2026 में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर कहा : भाजपा जितना भी ‘सर-सर’ बोल के चीखे, पश्चिम बंगाल में ‘मैडम, मैडम, मैडम’ ममता बनर्जी हैं. आप हारेंगे. ‘सर’ भी मैडम के सामने कुछ नहीं कर पायेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग घूमा-फिरा कर यह बता रहा कि आप नागरिक हैं या नहीं हैं. लेकिन संविधान के किस अनुच्छेद के तहत आप ऐसा कह रहे हैं? नागरिकता देने के लिए आपके पास क्या शक्तियां हैं? एसआइआर के लिए बंगाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के होने का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन मिजोरम, नगालैंड, असम, मेघालय और त्रिपुरा भी तो सीमावर्ती राज्य हैं. वहां क्यों नहीं एसआइआर कराया जा रहा है?

और क्यों केवल बंगाल में कराया जा रहा? इसलिए कि वहां 2026 में चुनाव है. सीमा किसका है, बीएसएफ का, बीएसएफ किसकी? होम मिनिस्टर की, फिर होम मिनिस्टर क्या कर रहे हैं. वे (बांग्लादेशी और रोहिंग्या) लोग तो एटम बम नहीं हैं कि ऊपर से गिर रहे हैं, ना वे अदृश्य व्यक्ति हैं. वे तो बॉर्डर से ही घुस रहे हैं. ऐसे में यह केंद्र सरकार की नाकामी है.

बिहार में हालिया विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिये गये. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये सभी घुसपैठिया थे? बिहार में, आपलोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि जीते हैं, असल में बिहार में कोई पार्टी न हारी है, न जीती है, जीता निर्वाचन आयोग है. अभी बिहार में आपका यह पसंदीदा नारा है कि चुनाव से पहले 10 हजार रुपये और बाद में बुलडोजर.

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