संवाददाता, कोलकाता
गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान की दुर्घटना ने हवाई सफर को लेकर लोगों के मन में चिंता पैदा कर दी है. ऐसे में हवाई सफर के दौरान विमान में किसी तरह की भी लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है. थोड़ी-सी गड़बड़ी की आशंका होने पर विमानों की लैंडिंग कर दी जा रही अथवा विमान को रद्द कर दिया जा रहा है. कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इन दिनों पक्षियों के टकराने की समस्या से जूझ रहा है. अक्सर पक्षियों के विमानों से टकराने के मामले टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान हुए हैं, ऐसी घटनाओं ने विमान को आपात लैंडिंग करने के लिए मजबूर कर दिया. अब तक विगत छह सालों में कोलकाता एयरपोर्ट पर विमानों से पक्षियों के टकराने की 109 घटनाएं हुई हैं. जिन घटनाओं ने विमानों की रफ्तार प्रभावित की है.
जानकारी के मुताबिक, कोलकाता एयरपोर्ट पर पक्षियों के टकराने की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए प्रयास तेज किये जा रहे हैं. पिछले छह वर्षों में 100 से अधिक घटनाओं की पुष्टि हुई है. हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 और मई 2025 के बीच 109 घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज की गयी है, जिसमें 2023 में 25 मामले, 2024 में 24 मामले और 2025 के पहले पांच महीनों में 10 घटनाएं शामिल हैं. चिंता का विषय आस-पास के अपशिष्ट स्थल हैं, विशेष रूप से बेलघोरिया एक्सप्रेसवे डंपयार्ड, जो रनवे से सिर्फ़ 5 किमी दूर है, जहां पक्षियों की अधिकता है.
मालूम हो कि मई और जून 2025 में हुई हालिया घटनाओं में भुवनेश्वर से कोलकाता जाने वाली इंडिगो की एक फ्लाइट का पक्षी के टकराने के कारण टेक-ऑफ रद्द कर दिया गया था. 2019 और 2023 के बीच ऐसे मामलों में भारत में सबसे ज़्यादा प्रभावित हवाई अड्डों की सूची में कोलकाता हवाई अड्डा सातवें स्थान पर था.
एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में संदिग्ध पक्षी टकराने के मामले 300 से अधिक हैं. यहां तक कि एक छोटा पक्षी भी तेज गति से चलने वाले विमान को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिसमें इंजन की विफलता, संरचनात्मक क्षति जैसे मामले शामिल है.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) ने उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के पास सोनिक और अल्ट्रासोनिक उपकरण, घास नियंत्रण उपचार और चेतावनी प्रणाली तैनात करते हुए आवास प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किये हैं. सायरन, स्पाइक्स और इलेक्ट्रॉनिक निवारक उपकरण तैनात किये हैं और 13 किमी के दायरे में पक्षियों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए एक बाहरी एजेंसी को लगाया है. आइसीएओ और डीजीसीए के तहत अंतरराष्ट्रीय विमानन मानदंड हवाई अड्डों के चारों ओर 10 किमी के बफर को पक्षी-आकर्षित करने वाली गतिविधियों से मुक्त रखने का आदेश दिया गया है. इसे लेकर बदलाव हो रहा है. लेकिन अधिकारी मानते हैं कि खतरा अभी भी बना हुआ है. हवाई अड्डे की सीमाओं के पास खुले में बाज़ारों और अप्रबंधित डंपों की मौजूदगी लगातार चुनौतियां है. कोलकाता एयरपोर्ट की ओर से इसे लेकर दक्षिण दमदम, बरानगर समेत आस-पास के पांच निकायों को उनके क्षेत्र में इसके लिए कदम उठाने को कहा गया है, ताकि उन क्षेत्रों से पक्षियों की आबादी बढ़कर ऐसी घटनाएं न हो.
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