बुनियादी सुविधाओं की कमी और गांव में हो रही कुछ अन्य घटनाओं के बाद हट गयी थी पूरी आबादी
प्रशासन के आश्वासन के बावजूद नहीं आते हैं लोग, खंडहर बन गये हैं गांववालों के लगभग सारे घरआसनसोल/नियामतपुर. कुल्टी थाना क्षेत्र के नियामतपुर इलाके में स्थित बेनाग्राम गांव पिछले दो दशकों से वीरान है, यहां के सारे लोग गांव छोड़कर दूसरे जगह जाकर बस गये हैं. लक्खी (लक्ष्मी) पूजा के अवसर पर साल में एक दिन के लिए इस गांव में रौनक लौटती है, फिर यह गांव वीरान हो जाता है. गांव में सिर्फ लक्ष्मी मंदिर ही सही सलामत है, बाकी सारे घर खंडहर बन चुके हैं. इस गांव के वीरान होने की कहानी लोगों की यादों में बसी है. सोमवार को लक्ष्मी पूजा के दिन पुनः इस गांव में रौनक लौटेगी और रातभर रोशनी से गांव जगमग रहेगा. जिसकी तैयारी की जा रही है. आसनसोल नगर निगम के स्थानीय पार्षद व तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष आदित्यनाथ पुइतन्डी उर्फ बादल ने बताया कि इस गांव के लोगों को पुनः यहां वापस लाने के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है. बिजली, पानी, सड़क सारी बुनियादी सुविधा मुहैया कराने की भी बात कही गयी, लेकिन फिर भी जो छोड़ के गये, वे वापस आने को तैयार नहीं हैं. साल में सिर्फ एक दिन के लिए आते हैं, फिर वापस लौट जाते हैं.गौरतलब है कि बेनाग्राम साल में केवल लक्ष्मी पूजा के दिन जीवंत हो उठता है. दुर्गा पूजा के बाद आने वाले पहले पूर्णिमा की रात गांव में स्थित लक्ष्मी जी की मंदिर के पास इकट्ठा होकर देवी की प्रतिमा स्थापित करते हैं, पूजा-पाठ और सामुदायिक भोग के बाद अगली सुबह देवी की प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही सभी लोग गांव छोड़कर चले जाते हैं.
स्थानीय प्रशासन ने लोगों को वापस लाने का किया प्रयास
गांव के अचानक सुनसान होने की खबर फैलने के बाद स्थानीय प्रशासन की सक्रियता बढ़ी. बिजली के खंभे लगाये गये और निवासियों से नये बिजली कनेक्शन का वादा किया गया. आसनसोल नगर निगम ने दशकों से इस्तेमाल हो रही सड़क को पक्का किया और साफ-सफाई का काम भी किया. तत्कालीन नगरनिगम के मेयर जितेंद्र तिवारी ने हर घर तक पेयजल लाइन पहुंचाने का भी भरोसा भी दिया, लेकिन लोग वापस नहीं लौटे.बुरे साये की अफवाह
गांव के कुछ लोगों ने बताया कि दो दशक पहले यहां किसी बुरे साये होने की खबर फैली, इसे शुरू में किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिससे लोगों में डर बैठ गया और कई परिवार अपने घर छोड़कर अन्य जगह के लिए निकलते ही धीरे-धीरे पूरा गांव खाली हो गया. कुछ लोगों का कहना है कि कोई बुरा साया नहीं थी. सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव और पास से गुजरने वाली दिल्ली हावड़ा मेन लाइन के कारण अपराधियों का तांडव बढ़ गया था. जिसके कारण लोग एक-एक करके घर छोड़कर निकल गये और पूरा गांव खाली हो गया.एक दिन का उत्सव
बेना गांव को केवल लक्ष्मी पूजा के दिन जनरेटर लगाकर रोशन किया जाता है, मंदिर और गलियों को सजाया जाता है. हर घर में रात भर देवी के आगमन की प्रतीक्षा की जाती है. लोग पूजा के बाद सामूहिक भोग का आनंद लेते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दिन केवल धार्मिक उत्सव का नहीं है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और पारिवारिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी है. सुनसान गांव में इस दिन की रौनक यह दर्शाती है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, गांव के लोग अपने अतीत और परंपराओं से जुड़े रहना नहीं भूलते.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

