कलकत्ता उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों ने हाइकोर्ट से हस्तक्षेप की उठायी मांग कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों ने सोमवार को सुपर न्यूमरेरी पदों का सृजन कर नौकरी के मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों के उत्पीड़न के मामले में मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग की. सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने मामला स्वीकार कर लिया. सोमवार को अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि हम कम से कम दो लोगों को जानते हैं, जो याचिकाकर्ता हैं और उन दोनों ने पहले भी जस्टिस राजशेखर मंथा के साथ दुर्व्यवहार किया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय बार ने इस पर निराशा व्यक्त की है. वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि वहां धारा 144 लागू थी, तो ऐसे में वहां कैसे लोग इकट्ठा हुए? पुलिस क्या रही थी. अदालत को पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट तलब करनी चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि न्याय प्रणाली को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि उन्हें फैसला पसंद नहीं है तो उन्हें उच्च अदालत में अपील करनी चाहिए. इस तरह से आप विरोध नहीं कर सकते. गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने सुपर न्यूमेरिक पोस्ट के संबंध में राज्य से लिखित जानकारी तलब की थी और उसी समय वरिष्ठ अधिवक्ताओं के समक्ष प्रदर्शन किया गया. दूसरी ओर, हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने वकीलों के उत्पीड़न पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. नौकरी चाहने वालों के एक समूह ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील के कक्ष के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. उस घटना में सोमवार को वकील फिरदौस शमीम, कल्लोल बसु और सुदीप्तो दासगुप्ता ने न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु की अदालत में आपराधिक अवमानना का मामला दायर किया. इस पर न्यायाधीश ने कहा, “ऐसी घटना कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती. ” चूंकि मुख्य न्यायाधीश इस मामले को देख रहे हैं, इसलिए न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने फिलहाल इस पर कोई आदेश देने से इंकार कर दिया.
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