18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रजातांत्रिक पद्धति से प्रति वर्ष हो छात्र यूनियन का चुनाव

कोलकाता : राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा विभिन्न छात्र यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के बाद भी छात्रों व यूनियनों के प्रतिनिधि संतुष्ट नहीं हैं. कुछ छात्रों का कहना है कि अभी तक सरकार ने या शिक्षा मंत्री ने चुनाव के लिए कोई तिथि तय नहीं की है. इस विषय में सरकार […]

कोलकाता : राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा विभिन्न छात्र यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के बाद भी छात्रों व यूनियनों के प्रतिनिधि संतुष्ट नहीं हैं. कुछ छात्रों का कहना है कि अभी तक सरकार ने या शिक्षा मंत्री ने चुनाव के लिए कोई तिथि तय नहीं की है. इस विषय में सरकार खुल कर कुछ बोल नहीं रही है.

हालांकि शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बैठक में आश्वासन दिया कि जिला व राज्य अधिकारी, डीएम एवं ला एंड ऑर्डर मेनटेन करनेवाले उच्च अधिकारियों से बातचीत करने के बाद छात्र यूनियन चुनाव के लिए शीघ्र ही एक ठोस फैसला लिया जायेगा, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाने से छात्रों में रोष है.
एसएफआइ से जुड़े कुछ प्रतिनिधियों का कहना है कि 2017 से यहां कोई चुनाव नहीं हुआ है. पिछला चुनाव बंगाल के एकेडमिक संस्थानों में दिसंबर 2016 व जनवरी 2017 के बीच हुआ था. इसके बाद कोई चुनाव नहीं हुआ है. पंचायत चुनाव व लोकसभा चुनाव का हवाला देकर चुनाव स्थगित कर दिये गये. हम चाहते हैं कि अब चुनाव प्रत्येक कॉलेज में करवाये जाएं.
इस विषय में जादवपुर यूनिवर्सिटी के एसएफआइ यूनियन के सचिव देबराज देवनाथ का कहना है कि गत वर्ष ही ‘वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजेज (एडमिनिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन) एक्ट 2017 ’ बिल पास किया गया. इस बिल के नाम से सरकार संस्थानों में प्रति 2 सालों में स्टूडेंट्स काउंसिल बनाने पर जोर दे रही है. इसको किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उच्च शिक्षा के सभी एकेडमिक संस्थानों में गणतांत्रिक तरीके से प्रति वर्ष चुनाव कराने की परंपरा है, इसी का पालन होना चाहिए. इससे सभी विद्यार्थियों को भागीदारी करने का माैका मिलेगा. अगर दो सालों में चुनाव होगा तो कॉलेज से छात्र या तो पढ़ कर निकल जायेंगे या उसको एक ही साल भाग लेने का माैका मिलेगा.
दूसरे स्टूडेंट्स काउंसिल में प्रिंसिपल या वाइस चांसलर व शिक्षक या सरकार का ही कोई नोमिनी रखा जायेगा तो इसमें छात्रों का प्रतिनिधित्व ही खत्म हो जायेगा. केवल सत्तारूढ़ पार्टी के ही नुमाइंदे नजर आयेंगे, यह सही नहीं है. हम सभी छात्र चुनाव की प्रक्रिया से ही कैम्पस में छात्र यूनियन चुनाव चाहते हैं. अगर सरकार ने शीघ्र कोई तिथि घोषित नहीं की तो छात्र फिर से बड़े आंदोलन पर उतर सकते हैं.
वहीं कलकत्ता विश्वविद्यालय में एबीवीपी के संयुक्त सचिव सनी सिंह का कहना है कि टीएमसी सरकार को यह आभास हो गया है कि अब उनका जनाधार खिसक रहा है. अगर चुनाव करवाये गये तो एकेडमिक संस्थानों में भी टीएमसी छात्रों का ग्राफ गिर सकता है, इसलिए चुनाव नहीं करवाये जा रहे हैं.
कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़नेवाला प्रत्येक सामान्य विद्यार्थी चुनाव की प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है, क्योंकि यह उसका अधिकार है लेकिन तीन साल से कोई चुनाव नहीं हो रहे हैं. बंगाल राज्य के कई कॉलेजों में टीएमसी जबरदस्ती छात्र यूनियन ऑफिस में अपना कब्जा जमाये हुए हैं. टीएमसी छात्र जबरदस्ती अपना दखल किये हुए हैं. जब चुनाव होगा तो अन्य युवा नेताओं को भी माैका मिलेगा. हम बाकायदा चुनाव चाहते हैं. काउंसिल नहीं.
स्टूडेंट्स काउंसिल बनने से विद्यार्थियों का वोट देने व उसमें भाग लेने का अधिकार नदारद हो जायेगा. वहीं उत्तर कोलकाता के पूर्व टीएमसी छात्र यूनियन के सदस्य तन्मय दास का कहना है कि हम चाहते हैं कि चुनाव हो, ताकि नये विद्यार्थियों को भी माैका मिले. इसमें सरकार को सही फैसला लेने की जरूरत है. यह संभावना है कि जनवरी 2020 में चुनाव की कोई तिथि सरकार घोषित करे, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें