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जेयू में दाखिला लेनेवाले जम्मू कश्मीर के छात्रों की मदद के लिए हेल्पलाइन जारी

कोलकाता : धारा 370 को खारिज करने के साथ ही केंद्र सरकार के आदेश पर जम्मू कश्मीर के विद्यार्थियों की सुरक्षा का मसला अहम हो गया है. इस क्रम में जेयू में पढ़ने आये जम्मू-कश्मीर के छात्रों को भी हॉस्टल में प्राथमिकता दी जा रही है. 20 छात्रों ने इस साल यहां आवेदन किया है. […]

कोलकाता : धारा 370 को खारिज करने के साथ ही केंद्र सरकार के आदेश पर जम्मू कश्मीर के विद्यार्थियों की सुरक्षा का मसला अहम हो गया है. इस क्रम में जेयू में पढ़ने आये जम्मू-कश्मीर के छात्रों को भी हॉस्टल में प्राथमिकता दी जा रही है. 20 छात्रों ने इस साल यहां आवेदन किया है. जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए जादवपुर यूनिवर्सिटी हॉस्टल कमेटी की ओर से एक विशेष नोटिस जारी किया गया है.

इस मामले में जादवपुर यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ स्टूडेंट्स रजत राय ने जानकारी दी कि यहां दाखिला लेने के बाद होस्टल के लिए विद्यार्थियों को लगभग 45 दिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, लेकिन इस साल दाखिला लेनेवाले जम्मू-कश्मीर के 20 छात्रों को पहले ही हॉस्टल की सुविधा दी गयी है, ताकि वे पीजी के रूप में कहीं और जाकर न रहें या उनकी सुरक्षा को कोई खतरा न हो. कैम्पस के बाहर जाने पर उनके लिए खतरा बढ़ सकता है.

विद्यार्थियों की मदद के लिए जादवपुर यूनिवर्सिटी के आर्ट्स फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से एक हेल्पलाइन जारी की गयी है. कश्मीर घाटी से आये विद्यार्थी कोई भी समस्या होने पर 9674215401, 9073597778, 7980404657 व 9641983837 पर संपर्क कर सकते हैं. उनकी सहायता की जायेगी. जादवपुर यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री में पढ़ने वाले फरदीन खुर्शीद का कहना है कि वे अपने परिजनों से सर्म्पक करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फोन नहीं लग पा रहा है.

उनसे कोई सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. जादवपुर यूनिवर्सिटी के ही छात्र वासित जहूर का कहना है कि वह जम्मू का निवासी है. यहां इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग लेकर पढ़ रहा है. धारा 370 हटा देने के बाद वहां भी माहौल बदल गया है. गार्जियन से समाचार जानने के लिए लगातार संपर्क कर रहा हूं, लेकिन कोई बात नहीं हो रही है. यहां जादवपुर यूनिवर्सिटी में उनको कोई समस्या नहीं है लेकिन घर वालों से कोई बात नहीं हो पा रही है.

रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि हमारे यहां जम्मू कश्मीर का कोई छात्र नहीं पढ़ता है. अभी तक बाहर के कई छात्रों ने दाखिला लिया है लेकिन जम्मू-कश्मीर का कोई छात्र नहीं है. कलकत्ता विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर सोनाली बनर्जी चक्रवर्ती से यह जानने के लिए संपर्क किया गया कि वहां कितने छात्र जम्मू कश्मीर के हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठा पायीं, उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया.

शिक्षा संस्थानों को उनके हॉस्टल में रह रहे जम्मू कश्मीर के लोगों का विशेष ध्यान रखने के लिए व युवाओं को किसी भी अफवाह में नहीं पड़ने की सलाह दी गयी है. इस मामले में कोलकाता में 20 साल से बिजनेस कर रहे कश्मीर के निवाली सौकत आलम का कहना है कि वे अपने घरवालों से कोई बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि फोन नहीं लग रहा है. वे फिर से कोशिश कर रहे हैं.

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