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सागरद्वीप : मैदा, लाल रंग और जेली से बनाया घाव और मांग रहे भीख

सागरद्वीप : मकर संक्राति में स्नान के बाद दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.ऐसा माना जाता है कि दान देने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. गंगासागर में इसी भाव से स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु दान-पुण्य करते हैं. जिसे लेने के लिए गेट न. एक, दो और तीन […]

सागरद्वीप : मकर संक्राति में स्नान के बाद दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.ऐसा माना जाता है कि दान देने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. गंगासागर में इसी भाव से स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु दान-पुण्य करते हैं. जिसे लेने के लिए गेट न. एक, दो और तीन से लेकर सागर तट तक भिखारियों की लंबी कतार लगी होती हैं.
उनमें से लाचार-बीमार व बुजुर्ग भिखारियों के लिए दान रोटी का जरिया है. वहीं कुछ भिखारियों के लिए यह धंधा भी है. लोगों की आस्था को ठगने वाले ऐसे भिखारियों के पड़ताल के बाद पूरा माजरा समझ में आया. झारंखड़ और बिहार के बिरजू और राजू जिनकी उम्र लगभग 35-40 साल की होगी. यह दोनों पिछले दो साल से संक्राति पर गंगासागर आ रहे हैं.
मजे की बात यह है कि यह पहले गंगा स्नान करते हैं फिर मैदा, लाल रंग और एक जेलीनुमा मरहम को हाथ-पांव में लगाकर भिखारी बन जाते हैं. यह पूछे जाने पर कि जवान हो हाथ फैलाने में ‘शर्मं नहीं आती वह सिर झुका कर कहते हैं कि क्या करें साहब! गांव में रोजगार नहीं हैं. खेती से पेट भी नहीं पलता. ‘शहर में मंहगाईं इतनी है कि 500-600 रुपये एक दिन में खर्च हो जाता है. वहीं मेले में धर्म के नाम पर ही कुछ अतिरिक्त इनकम हो जाती है.

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