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कोलकाता : टूटी धर्म की दीवार, हबीबुल के सीने में धड़कने लगा सजल का दिल
कोलकाता : अंगदान की परंपरा से देश में सामाजिक बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. हाल ही में इसका एक उदाहरण कोलकाता में देखने को मिला, जब हबीबुल के सीने में सजल के दिल का प्रत्यारोपण किया गया, तो दोनों परिवारों के चेहरे पर जो सुकून की झलक देखने को मिली, उसकी आज पूरे समाज […]
कोलकाता : अंगदान की परंपरा से देश में सामाजिक बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. हाल ही में इसका एक उदाहरण कोलकाता में देखने को मिला, जब हबीबुल के सीने में सजल के दिल का प्रत्यारोपण किया गया, तो दोनों परिवारों के चेहरे पर जो सुकून की झलक देखने को मिली, उसकी आज पूरे समाज को जरूरत है.
अब हृदय प्रत्यारोपण के बाद मुर्शिदाबाद के हबीबुल रहमान (40) की हालत स्थिर है. उनकी सेहत लगातार सुधर रही है. शुक्रवार को हबीबुल को नारियल का पानी और खाने में हल्का तरल पदार्थ दिया गया. उन्हें अगले तीन दिन इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में रखा जायेगा. चिकित्सक हबीबुल की सेहत पर लगातार नजर रख रहे हैं. यह जानकारी अस्पताल अधीक्षक प्रो डॉ इंद्रनील विश्वास ने दी.
गौरतलब है कि गुरुवार को हबीबुल का कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कार्डियो थोरेसिक वैसकुलर साइसेंस (सीटीवीएस) विभाग में हृदय प्रत्यारोपण किया गया था. विदित हो कि कोलाघाट के रहनेवाले सजल कर (20) को बुधवार को सीएमआरआइ हॉस्पिटल में ब्रेन डेथ घोषित किया गया था.
परिजनों से अनुमति मिलने के बाद सजल का हृदय, दोनों किडनी, लीवर, त्वचा तथा कॉर्निया दान कर दिया गया. मेडिकल कॉलेज में गुरुवार सुबह 11.30 बजे प्रत्यारोपण की प्रक्रिया आरंभ हुई, जो शाम के 5.30 बजे तक चली.
एसएसकेएम (पीजी) के एक मरीज को लीवर व त्वचा और सीएमआरआइ व अपोलो को एक-एक किडनी दिये गये. वहीं, कॉर्निया शंकर नेत्रालय को दान की गयी. लीवर प्राप्त करनेवाले मरीज का नाम जयप्रतिम घोष (38) है. वह दक्षिण 24 परगना को बारुईपुर का रहनेवाला है. उसकी हालत भी शुक्रवार को स्थिर बतायी गयी है.
तीन को मिला नया जीवन
काउंसिलिंग के बाद परिजन अंग दान के लिए तैयार हुए. सजल का हृदय, दोनों किडनी, त्वचा, लीवर व कॉर्निया का दान किया गया. सजल के परिजनों द्वारा किये गये इस महादान से तीन लोगों को नया जीवन मिला है.
गौरतलब है कि हृदय प्राप्त करनेवाले हबीबुल रहमान कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कार्डियो थोरेसिक वैसकुलर साइसेंस (सीटीवीएस) विभाग में गत करीब 20 दिनों से इलाजरत थे. हबीबुल के हृदय का 15 फीसदी हिस्सा ही कार्य कर रहा था. किसी भी समय उनकी मौत हो सकती है. लेकिन सजल के हृदय ने उन्हें नया जीवन दिया है.
अब एसएसकेएम को मिलेगा लाइसेंस : हृदय प्रत्यारोपण के लिए अब तक मात्र कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को ही लाइसेंस प्राप्त है. बहुत जल्द यह लाइसेंस एसएसकेएम (पीजी) भी प्राप्त कर लेगा. उधर, पीजी में हर्ट ट्रांसप्लांट के लिए चिकित्सकों को दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में प्रशिक्षण दिया गया है.
स्वास्थ्य भवन के एक अधिकारी ने बताया कि जल्द ही पीजी में भी हृदय प्रत्यारोपण किया जायेगा. मेडिकल कॉलेज की तरह पीजी में भी नि:शुल्क हर्ट ट्रांसप्लांट किया जायेगा, जिससे जरूरतमंद लोग भी लाभान्वित होंगे.
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