– दक्षिण कोलकाता के निजी अस्पताल ने मृत घोषित किया
– निजी चिकित्सक ने किया था जीवित होने का दावा, ले जाया गया दूसरा अस्पताल
– दूसरे निजी अस्पताल ने भी करार दिया मृत
कोलकाता : कभी ममता बनर्जी के काफी करीबी रहे तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विपक्ष के नेता पंकज बनर्जी के निधन को लेकर शुक्रवार को दिनभर संस्पेंस बना रहा. 72 वर्षीय वरिष्ठ नेता श्री बनर्जी वृद्धजनित रोगों से पीड़ित थे. रविवार को दक्षिण कोलकाता के लेकगार्डेन स्थित आवास में उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दक्षिण कोलकाता स्थित एक निजी अस्पताल में दोपहर 12.30 बजे ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच के बाद उन्हें मृत करार दिया.
लेकिन जब उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास पर ले जाया गया, तो उनके निजी चिकित्सक ने दावा किया कि श्री बनर्जी का निधन नहीं हुआ है, वरन अभी भी उनकी धड़कने सुनी जा रही है. वह वास्तव में कोमा में हैं. निजी चिकित्सक के दावे से खलबली मच गयी और उन्हें दक्षिण कोलकाता स्थित एक अन्य निजी अस्पताल में ले जाया गया.
वहां भी डॉक्टरों ने उनकी जांच की और उन्हें मृत करार दिया. उनके निधन की सूचना मिलते ही उनके आवास पर मंत्री पार्थ चटर्जी, अरुप विश्वास, शोभनदेव चटर्जी, सांसद सौगत राय, सांसद सुब्रत बक्शी व विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे और उनके निधन पर शोक जताया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने भी शोक संदेश जारी कर शोक जताया.
इंजीनियरिंग के छात्र रहे श्री बनर्जी कांग्रेस के उन नेताओं में से थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कांग्रेस के खिलाफ बगावत कर 1997 में तृणमूल कांग्रेस का गठन किया था. वह तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. श्री बनर्जी ने 2001 में तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर टालीगंज से चुनाव लड़ा और माकपा को पराजित कर जीत हासिल की और विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता बनाये गये.
श्री बनर्जी विधानसभा में वाम विरोधी राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाते थे. हालांकि 2006 से सुश्री बनर्जी मतभेद होने के बाद उन्हें पार्टी का टिकट नहीं दिया गया. इसके साथ ही श्री बनर्जी ने राजनीति से सन्यास ले लिया और टालीगंज स्थित अपने आवास से ही गैर सरकारी संस्था के कार्यों की देखभाल करते थे, हालांकि 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले खबर आयी कि बंगाल की राजनीति में फिर से सक्रिय होंगे और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, हालांकि अंतत: वे सक्रिय राजनीति में नहीं लौटे और राजनीतिक सन्यास के साथ ही शुक्रवार को उनका निधन हो गया.

