कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने गुरुवारको पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केएन त्रिपाठी को ‘मोदी ब्रिगेड का एक सिपाही’ करार दिया जिस पर तृणमूल कांग्रेस ने कहा, ‘सच सामने आ गया.’ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपाठी के बीच विवाद का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस इस भ्रम में है कि वह खोखली टिप्पणियों और राज्यपाल के कार्यालय पर हमला करके केएन त्रिपाठी को खामोश कर सकती है.’ उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘वे एक चीज भूल गये हैं कि केएन त्रिपाठी मोदी ब्रिगेड के सैनिक हैं. उन्हें अपना कर्तव्य निर्वहन करने से नहीं रोका जा सकता है.’ सिन्हा ने कहा कि राज्यपाल का हालिया बयान साबित करता है कि वह तृणमूल कांग्रेस से ‘डरने’ वाले नहीं हैं. त्रिपाठी ने बुधवार को कहा था कि यह कहना गलत है कि राजभवन भाजपा या आरएसएस का दफ्तर बन गया है.
इधर, तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘हम यह बहुत लंबे वक्त से कह रहे हैं कि राज्यपाल भाजपा और आरएसएस के कहने पर काम कर रहे हैं और सिन्हा की टिप्पणी साबित करती है कि हम सही हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सच सामने आ गया है.’ चटर्जी ने कहा कि भाजपा समझती है कि वह राजभवन को अपनी पार्टी का दफ्तर बना कर राज्य में सत्ता पर काबिज हो जायेगी. वहीं, राज्यपाल केएन त्रिपाठी ने उत्तरी 24 परगना जिले के कुछ हिस्से में हो रहे दंगों को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगातार तीसरे दिन लताड़ते हुए कहा है कि वह ‘किसी भी जाति, पंथ या समुदाय में भेद के बिना शांति बनाये रखने’ के लिए बाध्य हैं. राज्यपाल की कड़ी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता मंत्रिमंडल के सदस्य सुब्रत मुखर्जी ने राज्यपाल को ‘तोता’ बताया और अपनी पार्टी के दावे को दोहराया कि केएन त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर मुख्यमंत्री को नीचा दिखाने के लिए काम कर रहे हैं. बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों नेताओं को फोन कर विवाद को खत्म करने के लिए कहा था. उनकी सलाह को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने लगभग तुरंत ही दरकिनार कर दिया और कहा कि वे राज्यपाल के आवास राजभवन को ‘भाजपा के दफ्तर में तब्दील’ नहीं होने दे सकते.
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी लगातार मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती रही हैं, क्योंकि वे उनकी पार्टी के अहम वोटबैंक हैं और इसी वजह से दंगाइयों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि वे खुद को कानून से परे समझने लगे हैं और इसी कारण राज्य में बसे हिंदू भाजपा के पास इस उम्मीद में आ रहे हैं कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करेगी.