गौरतलब है कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी का हमेशा से ही आरोप रहा है कि दार्जीलिंग मुद्दे पर भाजपा, मोरचा का साथ दे रही है. इसलिए किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने यह आदेश दिया है. भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व में दार्जीलिंग मुद्दे पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. इसके बावजूद प्रदेश नेता इस मुद्दे पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे केंद्र सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है. दार्जीलिंग मुद्दे को स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह देख रहे हैं, इसलिए प्रदेश नेताओं को मुद्दे पर चुप रहने की हिदायत दी गयी है.
गौरतलब है कि पहाड़ की परिस्थिति पर नजरदारी रखने का दायित्व दार्जीलिंग सांसद एसएस आहलुवालिया को सौंपा गया है. दार्जीलिंग में भाजपा व गोरखा जनमुक्ति मोरचा के बीच समझौता है, इसलिए इस गठबंधन पर दार्जीलिंग की घटना की कोई आंच नहीं पड़नी चाहिए, इस पर भी ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. इस संबंध में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व का निर्देश का पालन करना सभी नेताओं के लिए अनिवार्य है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दार्जीलिंग मुद्दे पर बयानबाजी नहीं देने का निर्देश दिया है तो वह कोई भी प्रदेश नेता इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकता.