कोलकाता. जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू करने का फैसला किया है कि क्या प्रथम वर्ष के स्नातकोत्तर कंप्यूटर विज्ञान के छात्र को बुधवार की रात को विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास में कंगारू कोर्ट में उपस्थित होने के लिए मजबूर किया गया था, या इसके पीछे कोई और रहस्य है. जेयू के छात्र विश्वजीत प्रमाणिक को संदिग्ध पैनिक अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, क्योंकि कथित तौर पर छात्रों के एक बड़े समूह ने उस पर हमला कर दिया था. छात्र को अब निजी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है, लेकिन वह छात्रावास में वापस नहीं आया है. विश्वविद्यालय ने घटना की जांच करने का फैसला किया है. जेयू की चिकित्सा अधीक्षक, मिताली देब बुधवार रात छात्र को बचाने के लिए छात्रावास गयी थीं. उन्होंने कुलपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने बचाव के दौरान जो कुछ देखा और महसूस किया, उसे साझा किया. चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि उन्होंने अन्य बातों के अलावा विस्तार से रिपोर्ट दी है कि कैसे कुछ छात्रावास बोर्डर्स ने उन्हें दो स्थानों पर रोका, जब वह विश्वजीत को इलाज के लिए ले जाने की कोशिश कर रही थीं. चिकित्सा अधीक्षक ने बताया : एम्बुलेंस तैयार थी, लेकिन छात्रों की वजह से हमें लगभग 40-45 मिनट देर हुई. वे मुझे बीमार छात्र को छात्रावास से बाहर नहीं ले जाने दे रहे थे. इससे विश्वविद्यालय के अधिकारियों में चिंता पैदा हो गयी है. रैगिंग हुई या नहीं, यह मुझे या जेयू के किसी भी अधिकारी को नहीं पता. जांच से सच्चाई सामने आयेगी और इसमें कुछ समय लगेगा. लेकिन अगर ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर को ड्यूटी करने से रोका जाता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. ड्यूटी करने से उसे रोकना अस्वीकार्य है. उन्होंने सीसीटीवी लगाने की सिफारिश की है. छात्रावास के गलियारों में कैमरे लगाये गये हैं और फुटेज की निरंतर निगरानी की जा रही है. विश्वविद्यालय से किसी भी छात्र को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े, परिसर में ऐसी व्यवस्था करने के लिए सिफारिश की गयी है. एक जांच कमेटी भी गठित की गयी है.
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