बांकुड़ा.
अखिल भारतीय संयुक्त ट्रेड यूनियन केंद्र (एआइयूटीयूसी) संबद्ध पश्चिम बंग आशा कर्मी यूनियन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गयीं और समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे 23 दिसंबर से हड़ताल पर जाने को विवश होंगे. बुधवार को यूनियन सदस्यों ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जाकर उच्च पदस्थ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा. आठ सूत्री मांगों को लेकर यह चेतावनी दी गयी है.प्रमुख मांगें
मांगों में आशा कर्मियों के जीवन-यापन भत्ते में वृद्धि, चार महीने की प्रोत्साहन राशि और एक वर्ष की पीएलआई सहित सभी सेवाओं के भुगतान में तेजी लाने की मांग शामिल है. इसके साथ ही किसी भी मोबाइल ऐप के माध्यम से काम नहीं करने, ड्यूटी के दौरान मौत होने पर परिजनों को 5 लाख रुपये का एकमुश्त भुगतान करने और सरकार द्वारा घोषित सभी छुट्टियां आशा कार्यकर्ताओं को देने की मांग भी उठाई गयी है.
कार्यभार बढ़ा, पारिश्रमिक नहीं
यूनियन के अनुसार राज्य में आशा कार्यकर्ता माताओं, बच्चों और आम जनता को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करती हैं. उन्हें एक साथ कई विभागों के अधीन काम करना पड़ता है. पानी की जांच, खेलकूद, मेले, मतदान, स्कूल परीक्षा ड्यूटी से लेकर घर-घर जाकर सरकारी कार्य करना. इन सभी कठिन कार्यों के बावजूद उन्हें पारिश्रमिक नहीं मिलता है. महीने-दर-महीने विभिन्न कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि और अन्य भुगतान लंबित रहते हैं. पहले से ही कम भत्ते पर निर्भर अधिकांश आशा कर्मियों का परिवार सालभर परेशान रहता है. दूसरी ओर नए आदेशों के कारण कार्यभार लगातार बढ़ रहा है.
समाधान न होने पर हड़ताल
यूनियन का कहना है कि अपनी वंचनाओं की जानकारी सभी पक्षों को बार-बार दी गयी, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है. इसलिए एक बार फिर मांगें उठाई जा रही हैं. यदि निर्धारित समय में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आशा कर्मी 23 दिसंबर से लगातार काम बंद करने को बाध्य होंगे.
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