दुर्गापुर.
बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद कीर्ति झा आजाद की बीमार पत्नी पूनम आजाद (62) का सोमवार को देहांत हो गया. वह अपने पीछे पति व दो पुत्रों सूर्यवर्धन व सौम्यवर्धन समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गयी हैं. सोमवार शाम ही यहां बीरभानपुर श्मशान-घाट पर उनका दाह-संस्कार कर दिया गया. वह बीते कई वर्षों से जटिल रोगों से जूझ रही थीं. बीते हफ्तेभर से वह यहां के मिशन अस्पताल में भर्ती थीं. उनके देहांत की खबर सोमवार सुबह करीब 11:00 बजे मिशन अस्पताल के डॉक्टरों ने दी. उसके बाद अस्पताल में तृणमूल के बड़े नेता व प्रशासनिक अधिकारी आने लगे. सूचना मिलते ही राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोकपत्र भेज कर संवेदना जतायी. श्रद्धांजलि देनेवालों में पुलिस उपायुक्त अभिषेक गुप्ता, आइएनटीटीयूसी के जिलाध्यक्ष अभिजीत घटक, मिशन अस्पताल के चेयरमैन सत्यजीत बोस, एडीडीए चेयरमैन कवि दत्त, एसबीएसटीसी के चेयरमैन सुभाष मंडल, दुर्गापुर नगर निगम (डीएमसी) की प्रशासक अनिंदिता मुखर्जी समेत कई जाने-माने लोग मौजूद थे. नम आंखों से दिवंगत पूनम आजाद को अंतिम विदाई दी गयी. उससे पहले एक मिनट का मौन रखा गया. फिर शवयात्रा दुर्गापुर के वीरभानपुर श्मशान-घाट के लिए चली. वहां दाह-संस्कार कर दिया गया. उस दौरान पूनम झा के दोनों बेटे सूर्यवर्धन व सौम्यवर्धन, सांसद के बड़े भाइयों के साथ बिहार के पैतृक गांव से मिथिलेश चौधरी, मनोज चौधरी, पप्पू झा समेत कई लोग दुर्गापुर पहुंचे थे.मालूम रहे कि कभी पूनम झा देश की राजनीति में काफी सक्रिय थीं. वर्ष 2003 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध उन्होंने चुनाव भी लड़ा था. वह लंबे समय तक दिल्ली में भाजपा की उपाध्यक्ष भी रही थीं. भाजपा से मोहभंग होने पर वह कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी (आप) से भी जुड़ी थीं. वर्ष 2000 में बिहार से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में पूनम झा चर्चित नाम था. कहा जाता है कि कीर्ति आजाद को राजनीति में लाने के पीछे उनकी पत्नी पूनम झा ही थीं. कई वर्षों से उन्हें जटिल रोगों ने जकड़ रखा था. उनका विदेश में भी इलाज चल रहा था. बीते आम चुनाव में पति के साथ चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें कई बार व्हीलचेयर पर देखा गया. आम चुनाव में पश्चिम बंगाल से पति कीर्ति आजाद को तृणमूल कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद से यह दंपती दुर्गापुर में ही रहने लगा था. शोकाकुल कीर्ति आजाद ने कहा कि मां तारा की पूजा के दिन ही भगवती ने उन्हें अपने पास बुला लिया.
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